*दानवीर भामाशाह की जयंती के अवसर पर व्यापारी कल्याण दिवस का किया गया आयोजन

व्यापारी कल्याण दिवस के अवसर पर उद्यमियों को किया गया सम्मानित

जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र के नेतृत्व में दानवीर भामाशाह जयंती के अवसर पर व्यापारी कल्याण दिवस का आयोजन राज्य कर विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा नगर पालिका कम्युनिटी हाल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में बताया कि इतिहास में जब भी दानवीरों की बात होती है तो भामाशाह का नाम आदर्श से लिया जाता है। बाल्यकाल से ही भामाशाह को मेवाड़ की धरती से विशेष प्रेम था। ऐसे वीर का जन्म राजस्थान की मेवाड़ चित्तौड़गढ़ में 29 अप्रैल 1547 को जैन परिवार में हुआ था। उनके पिता भारमल थे, जिन्हें राणा साँगा ने रणथंभौर के किले का किलेदार नियुक्त किया था। भामाशाह बचपन से ही मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र सहयोगी और विश्वास पात्र सलाहकार रहे थे। उन्होंने अपने समय में महाराणा प्रताप को अपनी सारी जमा पूंजी अर्पित कर दी थी। एक तरफ जहां मेवाड़ को बचाने के लिए महाराणा प्रताप विदेशी आक्रांताओं से लड़े तो दूसरी तरफ भामाशाह ने भी उनकी पूरी तरह से मदद की थी। इस तरह भामाशाह नाम इतिहास के सुनहरे वनों में दर्ज हो गया। उन्होंने बताया कि हल्दीघाटी युद्ध में भामाशाह का सहयोग इतिहास में आनेको लड़ाई लड़ी गई जिसमें से कुछ युद्धों को आज भी याद किया जाता है। ऐसा ही एक युद्ध था हल्दीघाटी का युद्ध जो 18 जून 1576 ई को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के मध्य हुआ था। हल्दीघाटी का युद्ध इतना भीषण और विनाशकारी था कि हजारों मेवाड़ी सैनिकों और मुगल सेना की जान चली गई और भारी मात्रा में धन की हानि हुई। इस दौरान आगे की लड़ाई लड़ने के लिए महाराणा प्रताप के पास बिल्कुल भी संसाधन नहीं बचे थे। महाराणा प्रताप के पास सैनिकों की संख्या कम हो गई थी, उन्हें अपने सैनिकों को देने के लिए पर्याप्त वेतन और भोजन की बहुत आवश्यकता थी परंतु कहीं भी आशा की किरण ना देखने पर वह गहरी चिंता में डूब गए और उन्हें यह डर सताने लगा कि कहीं मुगल उनके हिस्सों पर कब्जा न कर ले। उस कठिन समय में महाराणा प्रताप के मित्र भामाशाह मसीहा बनकर आए और उन्होंने महाराणा प्रताप को मातृभूमि की रक्षा के लिए 25 लाख रुपए तथा 20 हजार अशरफिया समर्पित की। महाराणा प्रताप को दी गई भामाशाह की इस सहायता ने मेवाड़ के आत्म सम्मान एवं संघर्ष को नई दिशा दी और अंत में महाराणा प्रताप की जीत साबित हुई। अंत में उन्होंने समस्त उपस्थित उद्यमियों से कहा कि जिन उद्यमियों को जिला प्रशासन से सहयोग की आवश्यकता पड़े वह उद्यमी जिला प्रशासन का सहयोग ले सकता है, इसके अलावा उन्होंने कहा कि भामाशाह द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा लेकर हम सबको अपने जीवन में कुछ अलग करने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान भामाशाह जयंती के अवसर पर शैलेंद्र मिश्रा जेपी हीरो होंडा एवं संजय सिंह राजपूत हीरो होंडा को भामाशाह जयंती पुरस्कार से सम्मानित जिलाधिकारी द्वारा किया गया। इसी प्रकार औद्योगिक विकास विभाग के तरफ से 14 उद्यमियों/व्यापारियों भी को सम्मानित किया गया, जिसमें रविशंकर, जितेंद्र राखोलिया, सुनील कुमार गुप्ता, प्रेम सिंह, प्रफुल्ल कुमार गुप्ता, राजकुमार खंडेलवाल, संजय सिंह, निर्मल गुप्ता, राजीव राय, रामविलास दुबे, मंजेश चौहान, श्रीमती वंदना सिंह, राजीव प्रकाश सिंह एवं आशुतोष कुमार राय को सम्मानित जिलाधिकारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान सूचना एवं संपर्क विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा पंजीकृत कलाकार राजनाथ जोशी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया तथा सोनी धापा बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा घुमर राजस्थान का राजकीय नृत्य एवं समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी द्वारा कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न उद्यमियों द्वारा लगाए गए स्टालों का अवलोकन किया गया। उक्त अवसर पर अपर जिलाधिकारी सत्यप्रिय सिंह, उपायुक्त उद्योग राजेश रोमन, सहायक उपायुक्त सगीर अहमद, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद दिनेश कुमार, सोनी धापा बालिका इंटर कॉलेज से रिचा त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष व्यापार कर उमाशंकर ओमर सहित उद्यमी उपस्थित रहे।



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