“एक शाम गंगा के नाम" - भाव कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन

गंगा स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत मऊ जनपद में "एक शाम गंगा के नाम" कवि सम्मेलन का आयोजन
“एक शाम गंगा के नाम" कवि सम्मेलन के माध्यम से कवियों ने तमसा, घाघरा और गंगा को स्वच्छ रखने की अपील
“एक शाम गंगा के नाम" कवि सम्मेलन में नदियों और मऊ जनपद को स्वच्छ बनाने के लिए जागरूकता फैलाई

गंगा स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत गाजीपुर तिराहे पर जिला गंगा समिति मऊ द्वारा “एक शाम गंगा के नाम" कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा की पवित्रता, संरक्षण एवं उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को जन-जन तक पहुँचाना था। कार्यक्रम की शुरुआत सामाजिक वानिकीय प्रभाग मऊ के निदेशक श्री पी.के. पाण्डेय (मुख्य अतिथि), श्री रवी मोहन कटियार एसडीओ और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। तत्पश्चात सोनम मौर्य ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर मां सरस्वती का आह्वान किया। कार्यक्रम में बनारस, चंदौली, गाजीपुर और बलिया से पधारे प्रख्यात कवियों ने अपनी ओजपूर्ण और संवेदनशील रचनाओं से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनमें डॉ. भारत भूषण यादव, पंकज प्रखर, डॉ. सुरेश कुमार अकेला, निज़ाम बनारसी, हेमंत निर्भीक, कल्याण सिंह विशाल, शशिकांत वर्मा, कवित्री प्रतिभा यादव, सोनम मौर्य, संजना मौर्य सहित अन्य कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से गंगा और पर्यावरण के प्रति जनचेतना का संदेश दिया। कार्यक्रम का संयोजन कर रहे डॉ. हेमंत कुमार यादव जिला परियोजना अधिकारी, मऊ ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा, तमसा और घाघरा केवल जल स्रोत नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। जितनी भी महान सभ्यताएँ और नगर विकसित हुए हैं, वे नदियों के किनारे ही बसे हैं, जिनमें गंगा का विशेष स्थान है। मऊ जैसे जनपद को प्रकृति का विशेष वरदान मिला है जहाँ दो बड़ी नदियाँ तमसा और घाघरा बहती हैं। हमें इन नदियों को स्वच्छ और संरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा। इसी प्रकार यमुना नदी मथुरा, आगरा और इटावा जैसे शहरों की जीवन रेखा है, वहीं गोमती नदी लखनऊ को जीवन देती है। सरयू नदी अयोध्या नगरी की आध्यात्मिक पहचान है। घाघरा, राप्ती और तमसा जैसी नदियाँ पूर्वांचल के जिलों में कृषि, मछली पालन और जल आपूर्ति की प्रमुख स्रोत हैं। इन सभी नदियों ने उत्तर प्रदेश और देश की सभ्यता को न केवल सींचा है, बल्कि यहाँ के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दुर्भाग्यवश, बढ़ते प्रदूषण और मानवीय लापरवाही के कारण इन नदियों की पवित्रता खतरे में पड़ रही है। ऐसे में हमें इन नदियों को स्वच्छ, अविरल और संरक्षित रखने का संकल्प लेना होगा। कवि संजना मौर्य ने अपनी रचना के माध्यम से तमसा और घाघरा की पीड़ा को मंच पर प्रस्तुत किया, वहीं शशिकांत वर्मा ने वृक्षारोपण और जल संरक्षण का संदेश दिया। विख्यात कवित्री प्रतिभा यादव ने गंगा को भारत की गरिमा बताते हुए इसे स्वच्छ, अविरल और संरक्षित बनाए रखने के लिए आम जन एवं माताओं-बहनों से सहयोग की अपील की। वीर रस के चर्चित कवि पंकज प्रखर ने युवाओं में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम का जोश भर दिया, वहीं निज़ाम बनारसी ने शायरी के माध्यम से स्वच्छता का सन्देश दिया। अन्य कवियों ने भी अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को भावविभोर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ. भारत भूषण यादव ने की। इस अवसर पर गंगा स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित पेंटिग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया जिसमे क्रमशः प्रथम पुरस्कार सुश्री संजना मौर्य (डीसीएसके पी.जी. कॉलेज, द्वितीय पुरस्कार सुश्री रश्मि कुमारी डायट मऊ, और तृतीय पुरस्कार श्री सोनू मौर्य (आईटीआई मऊ) को प्रदान किया गया. इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार प्राप्त करने वालों में सोनम मौर्य, मयंक गुप्ता, शाहीना बानो, दृष्टि बरनवाल, काजल मद्धेशिया, प्राची श्रीवास्तव, सनी थापा को दिया गया। गंगा स्वच्छता पखवाड़ा में सक्रिय सहभागिता के लिए निद्रा तिवारी, पूजा यादव, आराध्या यादव, अनामिका मद्धेशिया, सत्येंद्र खरवार, राजनंदिनी यादव को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, डीसीएसके पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विशाल जायसवाल, आईटीआई मऊ के प्रशिक्षक योगेंद्र यादव सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डीसीएसके पीजी कॉलेज, सोनिधापा इंटर कॉलेज, आईटीआई मऊ समेत जिले के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवकों और जनप्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।



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