आधुनिक हिंदी गद्य में अभिव्यक्त हिंदू जीवन मूल्यों के पुरस्कर्ता हैं स्वामी दयानंद- प्रो. अनिल राय*

साहित्य, संस्कृति और समाज के समन्वय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी।

नई दिल्ली, शुक्रवार, 7 मार्च 2025



दिल्ली विश्वविद्यालय के "प्रतिष्ठित संस्थान" के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आज कला संकाय दिल्ली विश्वविद्यालय में किया गया। यह संगोष्ठी "आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में अभिव्यक्त हिंदू जीवन मूल्य और आर्य समाज" विषय पर केंद्रित थी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. दयाशंकर तिवारी प्राध्यापक संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अनिल राय वरिष्ठ प्राध्यापक हिन्दी विभाग ने की। विशिष्ट वक्ता के रूप में श्री रवि शंकर संपादक, गगनांचल एवं डॉ. अवधेश कुमार ने अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी का कुशल संयोजन व संचालन डॉ. अजीत कुमार पुरी प्राध्यापक हिन्दी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी, एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में निहित हिंदू जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने आर्य समाज की वैचारिक पृष्ठभूमि और उसके साहित्यिक प्रभाव पर गहन विमर्श किया। प्रो. दयाशंकर तिवारी ने भारतीय साहित्य में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की निरंतरता पर प्रकाश डाला, वहीं प्रो. अनिल राय ने हिंदी गद्य साहित्य की विविधता और उसमें हिंदू जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति को रेखांकित किया। श्री रवि शंकर ने हिंदी साहित्य में आर्य समाज व दयानंद सरस्वती के योगदान को विश्लेषित किया जबकि डॉ. अवधेश कुमार ने आधुनिक हिंदी गद्य में समाज सुधार और आध्यात्मिक चेतना के समावेश पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भी अपनी जिज्ञासाओं को व्यक्त किया और विभिन्न विद्वानों से गहन संवाद स्थापित किया। संगोष्ठी में यह विचार प्रस्तुत किया गया कि साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के नैतिक उत्थान का भी साधन है। आर्य समाज की विचारधारा और उसके आदर्श, आधुनिक हिंदी साहित्य में किस प्रकार परिलक्षित होते हैं, इस पर विशेष ध्यान दिया गया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि साहित्य के माध्यम से समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया को सशक्त किया जा सकता है और इस दिशा में आर्य समाज की भूमिका अनुकरणीय रही है।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अजीत कुमार पुरी ने अपने समापन वक्तव्य में कहा, "यह संगोष्ठी साहित्य, संस्कृति और समाज को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। आधुनिक हिंदी गद्य में हिंदू जीवन मूल्यों की उपस्थिति समाज के नैतिक और सांस्कृतिक उत्थान का प्रमाण है। ऐसे विमर्श आगे भी आयोजित किए जाने चाहिए ताकि हमारी युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत कर सके।" उन्होंने सभी प्रतिभागियों, विद्वानों और शोधार्थियों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज