बिरसा मुण्डा व जयशंकर प्रसाद पर गोष्ठी सम्पन्न
17 नवम्बर, मऊ राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ के सभागार में बिरसा मुण्डा की जयंती एवं छायावादी काव्यधारा के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद की पुण्यतिथि के मौके पर जन संस्कृति मंच व राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ के संयुक्त प्रयास से एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ।कार्यक्रम की शुरूआत प्रेम नगर चकिया स्थित बिरसा मुंडा की मूर्ति पर मल्यार्पण के बाद गोष्ठी में आए हुए अतिथियों ने जयशंकर प्रसाद को पुष्पांजलि अर्पित किया।
युवा आलोचक डॉ.तेजभान ने कहा कि प्रसाद जी के साहित्य में अतीत गौरव गान का चित्रण मिलता है।कामायनी उनकी सभी रचनाओं का कोलॉज है।तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो प्रसाद और प्रेमचंद के राष्ट्रवाद में मुझे अंतर दिखाई देता है।प्रेमचंद के साहित्य में वर्गीय चेतना को स्थान मिला है।प्रेमचंद ,प्रसाद की तुलना में ज्यादा प्रगतिशील दिखाई देते हैं।डॉ. रामशिरोमणि ने बताया कि उन्होंने साहित्य के हर विधाओं पर अपनी कलम चलाई है।प्रेमचंद से अंतर्विरोधों के बीच उनके उपन्यास "कंकाल" में यथार्थवाद की झलक मिलती है। जिसमें प्रसाद ने तत्कालीन धार्मिक आडंबर और प्रचलित कुरीतियों पर प्रहार किया।साथ ही नाटक "स्कंदगुप्त"के माध्यम से तत्कालीन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति भारतीय जनमानस में स्फूर्ति भरने का काम किया। डॉ.जयप्रकाश धूमकेतु का कहना है कि प्रसाद को ठीक तरह से समझने की जरूरत है।प्रसाद के अन्तर्द्वन्द्व को समझे बिना उनका सही मूल्यांकन नहीं हो सकता।बृकेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्यकार का झुकाव वर्ग निरपेक्षता वरक्स वर्ग सापेक्षता की ज्यादा होता है.यह विचारणीय विषय है।एडवोकेट सत्यप्रकाश सिंह ने कहा कि प्रसाद की रचनाएं आज की विसंगतियों का समाधान प्रस्तुत करती हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में मनोज सिंह ने कहा कि प्रसाद का दर्शन आनन्दवाद से प्रभावित है।वक्ताओं ने बिरसा मुण्डा पर भी अपने विचार व्यक्त किए।युवा कवि उपेंद्र कुमार"खामोश" ने परिचयात्मक काव्य-पाठ किया। गोष्ठी का संचालन बृजेश गिरि और धन्यवाद ज्ञापन फखरे आलम ने किया।अंत में लोकगायिका शारदा सिन्हा एवं हिन्दी साहित्य परिषद मऊ के अध्यक्ष डॉ. एस.एन.खत्री को दो मिनट मौन रहकर श्रदांजलि दी गई। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना उपाध्याय, युवा साहित्यकार सुमित उपाध्याय,प्रमोद मौर्य,मोहन सिंह, दिवाकर,संगीता यादव,सुमन देवी राजेश कुमार यादव,रामचंद्र,अखिलेश, शिवप्रकाश सिंह, रमेश सिंह आदि उपस्थित रहे।