इस तरह से जब भरी आंखे दिखती हैं तो आत्मा झकझोर उठती है

तहलका न्यूज़ मऊ डेस्क

इस तरह से जब भरी आंखे दिखती हैं तो आत्मा झकझोर उठती है काश हर मैं ऐसी बूढ़ी आंखों के आसूं पोछ सकूं,इनके दर्द को बांट सकूं इन्हें अपना बना सकूं प्रति दिन हम मृत्यु के पास जा रहें हैं लेकिन किसी को किसी के दर्द से क्या लेना देना,हर तरफ घृणा,मोह,लोभ,लालच,,द्वेष,चुगली बुराई,इंसान की आदत बन चुकी है,काश ईश्वर मुझे उस काबिल बना दे,की लोगों के दुखों को अपना सकूं,उनकी आँखों के आंसुओं को पोछ सकूं,उनके हर दर्द को बांट सकूं अपने जीवन को सार्थक बना सकूं ,यही मेरा उद्देश्य है यही मेरा लक्ष्य है यही मेरा जीवन है,बाकी हर इंसान के अंदर कोई न कोई बुराई गलती होती है हो सकता हो मेरे अंदर भी हो,अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए मैं हर उस गरीब असहाय मजबूर का सारथी बनना चाहूंगा,जो दर्द में हो ,इसके लिए मुझे अपने प्राणों को भी निछावर करना पड़ा तो करने में थोड़ा भी संकोच नही करूंगा।



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