हम तो किसान है मरते वक्त भी नाम केवल हिन्दुस्तान निकलेगा

जगदीश सिंह

लफ्ज आईने हैं मत इसे उछाल के चलो अदब की राह मिली है देखभाल के चलो मिली है जिन्दगी तुम्हें बस इसी मकसद से सम्हालो खुद को और अपनों को सम्हाल कर चलो
पाँव के लङखङाने पर सबकी नजर है! पर सर पर कितना बोझ है यह कोई नही देखता! आज आन्दोलन के राह पर किसान है। वास्तविकता से रूबरू हो रहें हैं सच की ईबारत पढ रहें है ! सियासी दांव पेंच की तिजारत में किसान खुदअपनी कहानी गढ रहे है! दिल्ली की सीमा पर किसान चौकस है ! पूरे देश में मोदी बिरोधी सियासत बाजो का किसान आन्दोलन पर फोकस है! आज जो चल रहा है कल नहीं होगा! यह समय ब्यतीत हो जाने के बाद ही ऐहसास होगा ! जो छूट गया वो लम्हा सबसे बेहतर था! यह भी सच है की अपने हक हकूक के लिये सङक पर उतरना ही पङता है वर्ना सियासत के भेङिये आत्मसम्मान भी खा जातें है!अपमान का खजाना ही केवल छोङ जाते है! ढुढेगे अगर तो ही रास्ते मिलेगे! मन्जिलो की फीतरत है खुद चल कर नहीं आती।! आज मोदी सरकार को कठघरे मे खङा करने के लिये देश बिरोधी ताकतें भी आग में घी ङाल रही है!जैसे शाहीन बाग में आग लगाकर थक गये! गये मियाँ रहिमन एही मन न वोही मन? वाली बात चरितार्थ होकर रह गयी।

महीनो की मशक्कत का नतीजा केवल सीफर निकला! अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो !यकीन मानों वक्त बेहतरीन जबाब देगा! मोदी सरकार इसी सूत्र पर हर कदम आगे बढा रही है! सफलता भी कदम चूम रही है! सारे प्रयोजित बवाल कुछ दिनो में खुद ही सवाल बनकर समाज में चर्चित है! कङकङाती ठङ सङक पर कीसानो का रेला हर कोई परेशान !आखिर क्या है इसका समाधान! यह तो सभी देश वासी जानते है कि किसानो के साथ इस देश मे सौतेला ब्यवहार हमेशा से होता आया है ! सरकार चाहे जिसकी रही हो! किसी ने इस देश के अन्न दाता को आगे बढाने के लिये किसान आयोग का गठन नही किया न ही कोई निति निर्धारित हुयी है!किसान अपने आन बान शान स्वाभिमान के लिये मजबूर होकर सङक पर बार बार उतरता है!जब तक इस समस्या का समाधान नही हो जाता नहीं लगता सङक से हटेगा किसान! बनाये रखेगा सङको पर ब्यवधान! बर्बादी का मंजर झेल चुका ! कर्ज के मर्ज मे ङूबा हुआ ! आँधी तूफान में सब कुछ खो चुका अन्न दाता सियासी रहबरो के लिरे खिलौना बन गया है ! जब चाहे जैसे इनका उपयोग कर फिर झोली से बाहर फेंक दे!लेकीन अब जाग चुका है ढपोरशंखी वादों को सच की ईबारत मे उतारने के लिये संघर्षरत है!अन्धा कानून को वापस करने की लिये प्रयासरत है! सबसे बङा हैरत है! सामने क्यों नहीं आ रहे है सियासत के किसान समर्थक बहुरूपीया!इस सवाल को समझ नही पा रहे है किसान संगठन के मुखिया! हालात रोज खराब हो रहे है!अब यह आग पूरे देश मे फैल रही है! अब क्षेत्रिय दल अपने वजूद को चमकाने के लिये किसान आन्दोलन के मजबूत आवरण का सहारा लेकर अपना सियासी निशाना साधने के फिराक मे है जगह जगह आन्दोलन सम्मेलन व प्रदर्शन कर रहे है!यह हर आदमी जान रहा है इनका धरना प्रदर्शन किसान हित मे नही बल्खि रसातल मे जा चुकी पार्टी की शियासत को जिन्दा करने के लिये किया जा रहा है! आक्सीजन पर चल रही कुछ सियासी पार्टीयो का वजूद खतरा मे पङ गया था! कि ङेका ङ्रान इन्जेक्सन के तरह कुछ दिशो के लिये जीवन दान का सहारा किसान आन्दोलन इनके हाथ लग गया! किसानो के हितैशी बनकर किसान बिल के परिवर्तन के लिये किसानो का समर्थन कर रहे है! हलाकि कोई दिल्ली कूच नही कर रहा है! स्थानीय स्तर पर ही समर्थन कर रहा है! ऊत्तर प्र्देश मे समाजबादी पार्टी के टूटते जनधार को जोङने के लिये किसान आन्दोलन मजबूत आधार मिल गया है !इस मौका को पाकर सपा का चेहरा खिल गया है! देश के परिवेश मे केन्द्र सरकार ने साफ कर दिया है कि कीसी भी कीमत पर किसान बिल वापस नही होगी! अगर किसान किसी बात से आशंकित है सशंकित है तो उनको लिखित आश्वासन देने को सरकार तैयार है! देश के परिवेश को बिषाक्त बनाने के लिये केन्द्र सरकार पर दबाब बनाने के लिये सियासी पैतरेबाजी हो रही है लेकीन इहाँ न लगीहै तोहरी माया के तर्ज पर सब कुछ बीजेपी सरकार समझ कर अपना नेटवर्क मजबूत कर रही है! किसानो का आन्दोलन सियासत बाजो के कुत्सित बिचारधारा से ग्रसित होकर संक्रमित ब्यवस्था मे अपरमित सम्भावनाओ के दम तोङ देता है! या शहीन बाग के तरह बिना किसी मूल सिद्धान्त बिना किसी अगुआ के हमेशा के तरह इस बार भी तमाशा बन कर रह जाता है !दर्जनो बार किसान नेता कांग्रेश सरकार की घेराबन्दी महीनो महीनो तक सङक रेल जाम कर किये! मगर नतीजा मन मुताबिकनही मिला! इस बार भी सङक पर किसान है !जिनके दम पर दो जून की रोटी नसीब करता पूरा हिन्दुस्तान है!फीर भी इनके मूल अधिकाकरो का हनन कर रहा भारतीय सम्बिधान है! सरका को इस आन्दोलन की सार्थकता पर पहल कर किसानो को सन्तुष्ट करना चाहीये! ताकी भिन्ङरवाला का फोटो लगाकर चलने वाले कुछ कथित किसानो की पहचान कर अगली कार्वायी हो सके! जो पाकीस्तान से सह पाकर खालिस्तान का सपना आज भी देख रहे है! कुछ देश बिरोधी ताकतें भी इस मौके का भरपूर फायदा ऊठाने की फिराक में है ताक मे है!इनका करारा जबाब जरूरी है!
अगर परखोगे तो कुन्दन जैसा चमकता ईमान निकलेगा हम तो किसान है मरते वक्त भी नाम केवल हिन्दुस्तान निकलेगा



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