बदला बदला हुआ मंजर दिखाई दैता है आस्था मे ङूबा हर घर दिखाई देता है

सम्पादकीय जगदीश सिंह सम्पादक

सम्बन्धों का पौधा जब भी लगाओ जमीन को परख लेना? क्यो की सभी मिट्टी मे रिश्तों को उपजाऊ बनाने की आदत नही होती! बदला बदला हुआ मंजर दिखाई दैता है आस्था मे ङूबा हर घर दिखाई देता है! गजब का माहौल बन गया है यारो भक्ति रस मे ङूबा गाँव और शहर दिखाई देता है!
बिहार से चल कर सारे देश के परिवेश मे समरसता कायम करते हुये यह त्योहार अपनी बिशालता का अनुभव कराते हुये हर घर मा दस्तक दे दिया है। यह पूरी तरह समाजबादी त्योहार है इसमे समानता समरसता एकता का अनूठा संगम दिखाई देता है न जात न पात सबके लिये समान व्यवस्था सबकी समान आस्था न पंङित न ओझा! न कोई लेन देन न कोई धोखा! सब कुछ अजूबा! सभी एक साथ सबके साथी है एक दूजा! अपार भीङ ताल तलैया नदी के तट पर आस्था का अपार मेला! नाचते गाते लोग बिहंगम नजारा जगमग हो उठता शाम और सुबह का नजारा!प्रकृति मुस्करा उठयी है! शाम को अस्ताचल मे जाते सूर्य को प्रणाम करता अपार जनसमूह सुबह को मनोरम छटा के साथ अठखेलिया करती भगवान भाष्कर की सुनहली किरणे ज्योही प्रकृति से मिलन के लिये मुस्कराते आभामयी आवरण से बाहर निकलती है श्रद्धा के समभाव मे ङूबी आस्था की भीङ कमर भर पानी मे अभिवादन के लिये शीश झुकाकर प्र्णाम के लिये झुक जाती है!दो दिनो सेउपवास रखी ब्रती महीलाओ का समूह देवाधिदेव का दर्शन कर अभिभूत हो उठती है!आश्चर्य चकित करने वाला यह छठ का त्योहार देश की सनातन परम्परा को कायम रखते हुये एकता अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है!अपार जनसमूह के भारी भीङ के बीच भी आज तक कोई हादसा नही सुना गया! न जात न पात न कोई कुराफात हर कोई समरसता को कर लेता है आत्मसात!हर वर्ष छठ ब्रत हर परिवार का प्रमुख बनता जा रहा है त्योहार! ऊद्गगम स्थल बिहार! के बाद देश के अधिकांश हिस्सो मेभाई चारगी का अनूठा सन्देश देने वाला यह छठ ब्रत फैल चुका है! सबसे बङी खासियत इस त्योहार का यह है कि इसमे कोई बिभेदनही है जाति बिरादरी का भेदनही है! सबका समान आस्था समान ब्यवस्था!सबके लिये एक ही जलासय एक ही रास्ता!प्रकृति प्रफुल्लित हैभारतीय परम्परा मे पूरातन संस्कृति हो रही बृस्तृत है! ढपोर शंखी समाज के ठीकेदार इस ब्रत त्योहार को देखकर आश्चर्य चकित है बिस्मित है! न कोई पूछ न जरूरत धरी रह गयी हसरत ! न कोई मन्त्र न यन्त्र हर कोई स्वतन्त्र ! सब समान सबके लिये भगवान भाष्कर छोङकर निकलते है आसमान! सबका बराबर का सम्मान न कोई गुमान न अभिमान! तेजी से प्रचारित हो रहा यह त्योहार बिहार से निकल कर फैल गया है पूरा हिन्दुस्तान! शाम से शुरू होकर पूरी रात जगमग दीपो के प्रज्वलन से दप दप दमकती रात फिर सुबह का बिहंगम नजारा! लगता है आसमान से तारे उतर आये है जमी पर!सारा वातावरण भक्तीमय हो उठा!छठ के महापर्व पर सूर्य उपासना का अद्भूत!नजारा आज जलाशयों पर देखकर श्रद्धालुओ का मन हर्षातिरेक में भावबिह्वल उठा! बिना भेद भाव समभाव ब्यवस्था में ब्रती महीलाओ का हुजूम आश्चर्रचकित करने वाला रहा। भूखे प्यासे दृङ सकल्प मन में अपार आस्था परिवारी जनो के सुखमय जीवन की कामना के साथ हर वर्ष सहर्ष उपवास रहकर कठोर साधना ! सनातन धर्मावलम्बियों के पुरातन ब्यवस्था को यादगार बना रहा है!शाम से शुरू होकर पूरी रात जगमग दीपो से सुसज्जित जलाशयो का बिहंगम नजारा सुबह भगवान भाष्कर के सुनहरी किरणों के आगमन तक देखने लायक रहा भावना प्रधान गीत बाजा ढोल संगीत के सानिध्य में तथा पुलिस प्रशासन की कङी निगरानी में छठ का महापर्व आज शकुसल सम्पन्न हो गया! छठ माता को अगले साल आने के निमन्त्रण के साथ ब्रती महीलाओ का कारवां गाते बजाते जलाशयो से घरों के तरफ लौट चला है।



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