मऊ में 70 साल से रह रहे सिंधी परिवार को माफियाओं से सम्बंध रखने वाले व्यापारी कर रहे प्रताड़ित,जनपद में कई फ़र्ज़ी जमीनों पर दर्ज है उनके खिलाफ मुकदमे

तहलका ब्यूरो मऊ

मऊ (उत्तर प्रदेश) : कुछ परिवार (नाम नही बताया जा सकता) जो सिंध प्रांत के हिंदू (सिंधी) है। और भारत पाकिस्तान बटवारे में अपने धर्म,बहन बेटियों की इज्जत और जान बचाने के लिए वहां से सन 1950 में भारत आए और भारत सरकार ने नैतिकता के आधार पर उनको भारत मे बसाया। जो आज उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में रहते है (70 सालो से) लेकिन जहां वो परिवार 70 सालो से रहता चला आ रहा उनके घर पर उसी जिले के धनवान और माफियों से सम्बंध रखने वाले मऊ के प्रतिष्ठित ने सन 2013 में उनका घर फ़र्ज़ी बैनामे से क्रय कर लिया (जो जनपद के न्यायालय में मुकदमा दर्ज है) और उनको जो बेचारे 70 सालो से जिस घर मे रह रहे थे उन्हें बेघर करने के लिए धमकी देने लगा। जबकि उन परिवारों ने अपनी सुरक्षा हेतु माननीय जिला न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर श्रीमान न्यायाधीश महोदय से अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त किया ताकि उनको किसी प्रकार की कोई दिक्कत न प्रशासन द्वारा हो न कोई गुड़ा गर्दी कर सके।

लेकिन जिन लोगो ने उनका घर फ़र्ज़ी बैनामे से खरीदा और पैसे के दम पर धमकाया वह माफियाओं और भू-माफियाओं से भी सम्बंध रखते है , वह घटिया हरकत कर के उनके पुराने घर को गिराने/जड़ कमजोर करने और हर संभव प्रयास कर रहे है। जिन लोगो ने उनसे डर कर उनको घर दिया उनके घर का पानी का नलका खोल कर दीवाल में सीलन कर जड़ कमजोर करने का प्रयास किया गया था। और जो उनके कब्जे में एक व्यक्ति का हिस्सा है उसके ऊपर पीड़ित परिवार रहता है, लेकिन वे लोग दरवाजे को लात मार कर बार बार कहने पर भी न मानने पर जड़ कमजोर कर अब तक काफी नुकसान पीड़ित परिवार के घर को पहुँचा चुके है।

सोंचने वाली बात यह है कि जो पीड़ित सिंधी परिवार है उनको परेशान करने वाले व्यापारी जो माफियाओं से संबंध रखते है वे कुछ अन्य सिंधीयो को दलाल बनाकर उन्ही के समाज के सिंधी भाइयो को बेघर करने में लगे हुए है जो काफी शर्मनाक बात है और इंसानियत पर भी लानत है।

लेकिन न्यायालय से पीड़ित परिवार को पूरी सुरक्षा और सभी कानूनन अधिकार प्राप्त है।

सवाल ये है कि क्या उन पीड़ित सिंधी परिवारों के साथ सही किया जा रहा जो पेशे से ठेला चलाकर अपना पेट भरते है और उन लोगो मे कुछ छोटे गरीब व्यापारी है जो अपना पेट भरते है, उनमे कोई बेरोजगार है जो अभी पढ़ रहे है, जिनके पिता भी नही है,ऐसे सिंधी परिवार जो पाकिस्तान में हो रहे साम्प्रदायिक बंटवारे के कारण 70 वर्ष पूर्व 1950 में भारत आना पड़ा और आज सन 2020 में भी भारत मे उनके साथ वही चीज़ उन्ही समुदाय के लोगो द्वारा की जा रही।

और वह व्यापारी जो माफियाओं से सम्बंध रखते है (जिनकी मऊ जनपद में करोड़ों की संपत्ति है) वे चाहते है कि वे पीड़ित जहाँ रह रहे है उनका मकान कैसे भी गिर जाए ताकि उनको जानमाल का नुकसान हो और मजबूरन उन्हें उनका 70 वर्ष पुराना मकान खाली करने पड़े जहाँ वह मुस्लिम व्यापारी अपना भव्य आशियाना बनवा सके।

आप सभी लोग जो ये पोस्ट पढ़ रहे है आप बताइए कि आपकी क्या राय है आखिर उन परिवारों की मदद कौन करेगा और उनको आखिर क्या करना चाहिए।

जो उनके साथ 70 वर्ष पहले पाकिस्तान में हुआ वह आज फिर वही हरकते 70 वर्ष बाद आज के नए भारत मे भी हो रही है।



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