संघर्ष से सत्ता के सोपान तक आखिर कैसे पहुंचा तालिबान
तालिबान ने एक-एक कर अफगानिस्तान प्रांत पर अपना कब्जा शुरू कर दिया और अंत में काबूल पर अपना परचम फहरा दिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में एक लोकतांत्रिक सरकार का अंत हुआ। आइए जानते हैं पूरे घटनाक्रम को।
(शुभम वाधवानी)
नई दिल्ली : अमेरिका की सैन्य वापसी की घोषणा के बाद तालिबान ने काबुल की सत्ता हासिल करने के लिए अपना संघर्ष तेज कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने पूर्ववर्ती बिल क्लिंटन की नीतियों पर कायम रहते हुए अफगानिस्तान से सैन्य वापसी का ऐलान किया था। इसके बाद तय समय से पहले बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान किया। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान की नजर अफगानिस्तान की सत्ता पर टिकी थी। तालिबान ने एक-एक कर अफगानिस्तान प्रांत पर अपना कब्जा शुरू कर दिया और अंत में काबूल पर अपना परचम फहरा दिया। इसके साथ ही अफगानिस्तान में एक लोकतांत्रिक सरकार का अंत हुआ। आइए जानते हैं पूरे घटनाक्रम को तीथिवार के रूप में।
14 अप्रैल, 2021 : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एलान किया कि सैन्य वापसी एक मई से शुरू होकर 11 सितंबर को खत्म होगी। यह तालिबान व अमेरिका के बीच सैन्य वापसी के लिए तय एक मई की आखिरी तिथि का विस्तार तथा सबसे लंबी अमेरिकी लड़ाई के खत्म होने का संकेत था।
13 अगस्त : कंधार समेत चार प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान काबिज हो गया। हेरात पर कब्जा करते हुए तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले प्रमुख कमांडर मुहम्मद इस्माइल खान को बंदी बना लिया गया।
14 अगस्त : तालिबान ने हल्की झड़प के बाद उत्तर के प्रमुख शहर मजार ए शरीफ व काबुल से महज 70 किमी दूर पुल ए आलम पर कब्जा जमा लिया। अमेरिका ने काबुल से अपने नागरिकों की सकुशल वापसी के लिए और सैनिक भेजे। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि वह अगला कदम उठाने के लिए स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से बात कर रहे हैं।
15 अगस्त : बिना किसी लड़ाई के तालिबान प्रमुख शहर जलालाबाद पर कब्जा करते हुए राजधानी काबुल में प्रवेश कर गया।