मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंत्री निषाद ने कार्ययोजना समीक्षा की

मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु मंडलीय संगोष्ठी का आयोजन, डॉ. संजय निषाद ने दी महत्वपूर्ण जानकारी आज नेहरू प्रेक्षागृह, आज़मगढ़ में मत्स्यपालन विभाग द्वारा एक मंडलीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डॉ. निषाद ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में तथा मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में मत्स्यपालन को ग्रामीण आजीविका का सशक्त माध्यम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनसे निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद, कश्यप, धीवर, समेत सभी 17 उपजातियों के समुदाय को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।


नीतिगत योजनाओं से ज़मीन पर बदलाव


डॉ. संजय निषाद ने विस्तार से बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें मछुआ समाज के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रही हैं:



• प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: नाव, जाल, कोल्ड स्टोरेज, मत्स्य परिवहन हेतु सहायता

• मुख्यमंत्री मत्स्य योजना: बीज, आहार, उपकरण पर 40–60% सब्सिडी

• जीवित मत्स्य परिवहन योजना, ब्याज मुक्त ऋण योजना, दुर्घटना बीमा योजना (₹5 लाख तक)

• निषाद राज बोट योजना, किसान क्रेडिट कार्ड – आर्थिक उन्नयन की रीढ़ ⸻ जनपदवार योजनाओं का विवरण – आज़मगढ़ मंडल: जनपद आज़मगढ़: • लाभार्थी: 217 • योजनाएं: पीएम मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री योजना, नि:शुल्क बीज वितरण • अनुदान: ₹33.17 लाख (मुख्यमंत्री मत्स्य स्मूद योजना ), ₹527.3934 लाख (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजन) • गतिविधियाँ: तालाब निर्माण (71), बीज वितरण, फीड, आइसबॉक्स, प्रशिक्षण जनपद मऊ: • लाभार्थी: 273 • योजनाएं: पीएम मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री योजना, नवाचार योजनाएं • अनुदान: ₹20.41 लाख (मुख्यमंत्री संपदा योजना), ₹998.6377 लाख (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना) • गतिविधियाँ: तालाब निर्माण (46), मोबाइल फिश वैन, बीज वितरण जनपद बलिया: • लाभार्थी: 74 • योजनाएं: पीएम मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री योजना, नाव-जाल योजना • अनुदान: ₹26.29 लाख (मुख्यमंत्री मत्स्य समोसा योजना), ₹133.9 लाख (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना) • गतिविधियाँ: तालाब निर्माण (42), नाव-जाल, आइसबॉक्स, प्रशिक्षण कुल लाभार्थी: 564 कुल अनुदान: ₹17 करोड़+ उद्देश्य: रोजगार, आत्मनिर्भरता और मत्स्य उत्पादन में वृद्धि ⸻ जातीय जनगणना और अनुसूचित जाति का संवैधानिक अधिकार: डॉ. निषाद ने कहा, “जातीय जनगणना सिर्फ़ आंकड़ों की बात नहीं, यह हक़ और प्रतिनिधित्व की बात है। जब तक मछुआ समाज की वास्तविक जनसंख्या की गणना नहीं होगी, तब तक हमें योजनाओं में हमारा हक़ नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि मछुआ समाज की सभी उपजातियों को अनुसूचित जाति की सूची में परिभाषित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उन्हें शिक्षा, नौकरी और विकास के अवसर मिल सकें। ” साथ ही उन्होंने संविधान में सूचीबद्ध अनुसूचित जाति मझवार, तुरैहा, तारमाली पासी की सभी 17 मछुआ उपजातियों के संबंध में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक तथ्यों का उल्लेख किया: • 1961 की जनगणना मैन्युअल (उत्तर प्रदेश) और हालिया उत्तराखंड में शिल्पकार जाति नहीं जातियों का समूह है के शासनादेश के अनुसार ये जातियाँ अनुसूचित जाति के योग्य हैं। • उत्तर प्रदेश में भी ‘जातियों का समूह’ मानते हुए सभी 17 मछुआ उपजातियों को SC प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए। • 31 दिसंबर 2016 की राज्यपाल अधिसूचना के अनुसार, इन उपजातियों को OBC से हटाकर SC श्रेणी में जोड़ा जाना चाहिए। • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ मॉडल की तर्ज पर अनुसूचित जाति कोटा में वृद्धि होनी चाहिए — 27% में से 9% हटाकर 23% SC को दिया जाए। ⸻ प्रमुख माँगें: • मझवार, तुरैहा, तारमाली, पासी सहित 17 उपजातियों को SC प्रमाण पत्र तत्काल जारी हो। • ओबीसी सूची से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में सम्मिलित है गिनती कराने का आदेश जारी किया जाए। • केंद्रीय RGIs द्वारा स्पष्ट स्पष्टीकरण के बाद भी रोक लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही हो। • भाजपा के “मछुआ विजन डॉक्युमेंट” को नीति के रूप में लागू किया जाए। • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति व महिला (किसी भी वर्ग) को 60 प्रतिशत व सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाती है। देश में अधिकतर राज्यों में मछुआ समाज को अनुसूचित में होने का लाभ मिलता है, जबकि उत्तरप्रदेश में 40 प्रतिशत अनुदान मिलता है, जिससे मछुआ समाज अपने आप को उपेक्षाकृत महसूस करता है। इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए। पूर्ववर्ती सरकारों पर तीखा प्रहार डॉ. निषाद ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज को केवल वोट बैंक समझा। उन्होंने कहा कि “कुछ अधिकारी और राजनीतिक एजेंट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं, और मछुआ समाज के संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं।” ⸻ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार डॉ. संजय निषाद ने स्मरण कराया कि 7 जून 2015 के रेल आंदोलन के समय मा. मुख्यमंत्री जी ने मछुआ समाज के आरक्षण को गंभीरता से लिया और विधानसभा में आवाज़ बुलंद की। “भगवान राम को गंगा पार कराने वाले इस समाज को अब विकास की धारा में अग्रिम पंक्ति में लाना केवल सरकार का दायित्व नहीं, हमारा नैतिक कर्तव्य है।” ⸻ “यह सिर्फ़ कार्यक्रम नहीं, सामाजिक क्रांति का पड़ाव है। अब मछुआ समाज नेतृत्व करेगा, नीति बनाएगा और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेगा।”— डॉ. संजय कुमार निषाद



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