बी•एस•एन•एल• के कैसे सुधरें हालात? 5 दिनों से सर्वर खराब
तहलका ब्यूरो
मऊ जहां एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की हुंकार भर रही है, वहीं दूसरी तरफ टेलीकॉम सेक्टर में भी बेहतर सेवाएं देने की होड़ सी मची हुई है। लेकिन सरकारी उपक्रम की बीएसएनएल अपने प्रशासन अधिकारियों की लापरवाही के कारण ना सिर्फ दिन-प्रतिदिन घाटे में जा रही है बल्कि उसके सब्सक्राइबर्स की भी संख्या भी तेजी के साथ घट रही है। लोग विभागीय लेटलतीफी, खराब सेवाओं और शिकायतों का सही निस्तारण ना होने से निराश होकर दूसरे सेवा प्रदाताओं की सेवाएं लेने के लिए मजबूर हो जा रहे हैं।
इसी की एक नजीर है मऊ नगर की सारहू पुलिस चौकी के पास स्थित बीएसनल सी डॉट आफिस की जहाँ बीएसनल के उपभोक्ता निराश और मजबूर महसूस कर रहे हैं। पूछने पर पता चला कि 25/03/2019 से बीएसनल का सर्वर खराब है जिसके कारण दूर दूर से आने वाले उपभोक्ता आकर परेशान हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि हम कई दिनों से सिम रिप्लेस करवाने के लिए आ रहे हैं लेकिन हमारा सिम रिप्लेस नहीं हो पा रहा है। आफिस के लोग रोज यही कहते है कि सर्वर खराब है। कब सही होगा यह भी नहीं बताते है। कोई 10 किलोमीटर से आया है तो कोई 40 किलोमीटर से रोज रोज के सर्वर खराब होने से कर्मचारी भी तंग आ गए हैं।
उनका कहना है कि हम क्या करें समस्या आगे से है। हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सर्वर की समस्या का निदान चंडीगढ़ से होता है। वहाँ से बात किया गया है तो पता चला है कि सर्वर की मरम्मत का कार्य प्रगति पर है।
बरहाल इन्हीं परिस्थितियों के कारण बीएसएनल आज सरकार के गले की हड्डी बन गया है जिसके उपभोक्ताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है वहीं "ऑपरेशनल कॉस्ट" साल दर साल बढ़ती जा रही है। बढ़ते घाटे के कारण सरकार विनिवेशीकरण के साथ साथ निजीकरण की तरफ भी बढ़ चली है जिसका सीधा प्रभाव वर्तमान कर्मचारियों पर पड़ेगा। इसके विरोध में भी कर्मचारी संगठन आए दिन प्रदर्शन करते रहते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि यदि सेवाओं की गुणवत्ता और विभागीय लेटलतीफी बंद ना हुई तो इसका खामियाजा अधिकारियों, कर्मचारियों सभी को भुगतना होगा।