मऊ शिक्षा विभाग का विवाद: चहेती शिक्षिका को बचाने की अनोखी कवायद!

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में शिक्षा विभाग इन दिनों अपने अजीबोगरीब कारनामों को लेकर सुर्खियों में है। विभाग के आला अधिकारियों पर अपने चहेते कर्मचारियों को बचाने और मीडिया को भ्रमित करने के आरोप लग रहे हैं। ताजा मामला 29 नवंबर 2024 का है, जब शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जिला सूचना अधिकारी को पत्रकारिता के कर्तव्यों और कार्यों के संबंध में कानूनी जानकारी मांगते हुए एक पत्र लिखा।

यह पत्र अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और जनता के बीच इसकी खूब चर्चा हो रही है। लोग इसे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने का एक नया कारण मान रहे हैं। कई लोग इसे "शिक्षा विभाग का मतिभ्रष्ट रवैया" करार दे रहे हैं, वहीं कुछ इसे अधिकारियों की असफलता का प्रतीक मान रहे हैं।

पत्र की पृष्ठभूमि पर गौर करें तो यह मामला विभाग के अंदर व्याप्त गुटबाजी और चहेते कर्मचारियों को बचाने की कोशिशों की ओर इशारा करता है। विभाग के अधिकारी जिस शिक्षिका के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं, वह लगातार विभागीय नियमों को तोड़ती रही हैं और अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं।

दूसरी ओर, जिला सूचना अधिकारी ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि पत्रकार हमेशा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग के पत्र को अनावश्यक करार दिया। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी इस मामले को खींचने में जुटे हैं, जिससे विभाग की छवि और अधिक धूमिल हो रही है।
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की आंतरिक कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से भटक रहे हैं। जनता का मानना है कि विभाग को इस तरह के प्रयासों में समय गंवाने के बजाय अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों, यानी शिक्षा के सुधार और गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।

शिक्षा विभाग के इस विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह सरकारी तंत्र अपनी वास्तविक भूमिका निभाने में सक्षम है या फिर चहेतों को बचाने की राजनीति में उलझा हुआ है?



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