लखनऊ में 485 भिखारी भीख माँगना छोड़कर कैसे रोजगार से जुड़े?

लखनऊ। लखनऊ में बदलाव संस्था द्वारा संचालित "भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान" के 2 अक्टूबर को 10 साल पूरे हुए. इस संस्था द्वारा अबतक भीख मांगने के काम में जुड़े 485 लोगों को पुनर्वास किया.

सालों लखनऊ के चारबाग प्लेटफ़ॉर्म पर काम रहने वाली माया ने बताया, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे कभी छत और दो वक़्त का भोजन मिल सकता है. पर बदलाव संस्थाने मुझे न केवल छत और दो वक़्त का भोजन दिया बल्कि रोजगार से भी जोड़ा. आज मैं बहुत खुश हूँ कि मैं अपना कमाकर खाती हूँ भीख नहीं मांगती.”

माया शारीरिक रूप से विकलांग हैं इनके पति इन्हें प्रताड़ित करते हैं. ये गुस्से में लखनऊ आ गईं और यहाँ भीख मांगने लगी. उस वक़्त ये गर्भवती थीं. कई रातें इन्होने भूख में गुजारीं. ये बदलाव संस्था के संपर्क में आयीं. यहाँ इनके रहने और खाने का इंतजाम किया था. बदलाव के छह महीने के पुनर्वास माडल की प्रक्रिया से जुड़ी. आज ये अपनी ट्राई साइकिल में एक छोटी सी दुकान चलाती हैं इनकी बेटी एक अच्छे स्कूल में पढ़ती है. अब ये किराए का कमरा लेकर रहती हैं.

माया 485 लोगों में से एक हैं जिन्होंने भीख माँगना छोड़कर खुद का रोजगार शुरू किया. माया की तरह बदलाव संस्था द्वारा संचालित नगर निगम के मील रोड ऐशबाग स्थित रैन बसेरे में भीख माँगना छोड़कर रोजगार से जुड़े 12 लोगों ने अपनी यात्रा साझा की. संस्था द्वारा भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान के 10 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम का आयोजन रेन बसेरा पर किया गया. इस कार्यक्रम में बिहार के रहने वाले सोनू ने भी अपनी कहानी साझा की. सोनू ने कहा, “कुछ बुरी आदतों का शिकार था इसलिए भीख मांगने लगा. लेकिन बदलाव संस्था से जुड़ने के बाद मैंने अपनी बुरी आदतें छोड़ी और खिलौने बेचना का काम शुरू किया. पिछले एक साल से बदलाव में एक टीम मेंबर की तरह काम करता हूँ ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. इस कार्यक्रम में सिंचाई एवम जल संसाधन विभाग के विशेष सचिव हीरालाल पटेल ने सभी लाभार्थियों की यात्रा सुनने के बाद कहा, “मैंने पूरे भारत की यात्रा की है पर इतना शानदार काम मैंने किसी गैर सरकारी संगठन का नहीं देखा. भिखारी भीख माँगना छोड़कर रोजगार से जुड़ें ये सोचना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है. मुझसे जितना संभव होगा मैं इस संस्था को सहयोग करूँगा.”

मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हरजीत सिंह जो इस शेल्टर होम पर एक सप्ताह पहले आये उन्होंने बताया, “घर में कुछ आपसी विवाद हुआ. परिवार वालों ने मुझे स्वीकार नहीं किया. मैं घर से निकला और आत्महत्या करना चाहता था. कुछ दिन इधर-उधर भटका. भीख माँगी. पंजाब में एक व्यक्ति ने मुझे बदलाव संस्था का एक पम्पलेट दिया. मैं वही पढ़कर पंजाब से यहाँ आ गया. मुझे बदलाव संस्था में आकर लगा कि मुझे दूसरा जीवन मिल गया है.” लखनऊ में बदलाव संस्था बीते 10 वर्षों से भीख मांगने के काम में जुड़े लोगों के लिए काम करती है. दस साल पहले इस संस्था ने लखनऊ में भिखारियों पर एक एक सर्वे किया था. 10 साल बाद 2024 में संस्था द्वारा पुन: सर्वे किया गया. जल्द ही इस सर्वे की रिपोर्ट पब्लिश की जायेगी. एक भिखारी को बदलाव की पुनर्वास प्रक्रिया से छह महीने गुजरना पड़ता है इसके बाद इन्हें रोजगार से जोड़ा जाता है. एक बीच में करें 25 से लोग होते हैं जो इस रैन बसेरे पर रहते हैं जहाँ इनके रहने-खाने और इलाज का पूरा इंतजाम है. इनके जरूरी दस्तावेज बनाकर इन्हें सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जाता है.    इस कार्यक्रम में डॉक्टर शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय समाज कल्याण विभाग के प्रोफेसर डॉ रुपेश कुमार सिंह ने कहा, “शरद हमारा विद्यार्थी है एक शिक्षक के लिए इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है जो बदलाव जैसी एक संस्था खड़ी कर दे और इतने सारे भिक्षुकों को रोजगार से जोड़ दे. ऐसे लोगों के लिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम लोग शरद जैसे लोगों को सपोर्ट करें जिससे इनका काम और आगे बढ़ सके.” बदलाव संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने मीडिया और अपने सहयोगियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “बदलाव बिना मीडिया के सहयोग और आपके साथ के बिना हम अपना काम आगे नहीं बढ़ा सकते थे. संसाधनों के अभाव में मैं अपने काम को बड़े स्केल पर नहीं कर पा रहा. अगर हमें सरकार का सहयोग मिले तो इस काम का तेजी से विस्तार हो सकता है.” इस कार्यक्रम में लायंस क्लब के मेंबर, लखनऊ के विभिन्न संस्था के साथी, सोशल वर्क की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों समेत 100 से ज्यादा लोगों ने प्रतिभाग किया और बदलाव के इस काम की खूब सराहना की. सभी लाभार्थियों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।



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