नई शिक्षा नीति: छात्र दो बार दे सकेंगे बोर्ड परीक्षा, शिक्षा को मजबूत बनाने पर सबसे अधिक फोकस

नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में बदलाव की जो सिफारिश की गई है उनमें स्कूली शिक्षा का जो नया ढांचा होगा वह चार स्तरों का होगा।...

नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति में जहां स्कूली पाठ्यक्रम को दुरुस्त किया जाएगा वहीं छात्रों को इसकी छूट होगी कि वह चाहें तो बोर्ड में अच्छे अंकों के लिए एक बार फिर से परीक्षा दे सकेंगे। वहीं 50 साल पुराने स्कूली शिक्षा के ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया गया है। अब यह 10 प्लस 2 की जगह 15 सालों का होगा। इनमें शुरूआत के तीन साल फाउंडेशनल स्टेज के होंगे। जिसमें तीन से आठ साल की उम्र के बच्चों की पढ़ाई कराई जाएगी। जो प्री-प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक के लिए होगा। फिलहाल इनकी पढ़ाई के लिए आंगनबाडियों का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके लिए इन्हें विशेष रूप से तैयार किया जाएगा।

शुरूआत से ही ज्ञान आधारित शिक्षा को लेकर रहेगा जोर

नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में किए गए बदलावों की जानकारी देते हुए मंत्रालय की स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवल ने बताया कि आने वाले दिनों में स्कूली कोर्स को इसी पैटर्न पर तैयार किया जाएगा। इसका आधार ज्ञान और तर्क पर आधारित होगा

कक्षा छह से बच्चों को पढ़ाई जाएगी कोडिंग

नीति में इसके साथ बच्चों को शुरू से ही मैथ, कोडिंग जैसी शिक्षा दी जाएगी। फिलहाल बच्चों को कक्षा छह से ही कोडिंग की पढ़ाई कराई जाएगी। नीति के इसके अलावा जो बड़े बात कही गई है,वह बोर्ड परीक्षाओं को लेकर है, जो छात्रों को परीक्षा देने के लिए साल में दो बार मौके दिए जाने का विचार है। हालांकि इसे राज्यों के साथ विमर्श करके अंतिम रूप दिया जाएगा। फिलहाल स्कूली शिक्षा में बदलाव के पीछे पूरा कोशिश है कि बच्चों को रटने-रटाने या किताबों का लिखा ही हूबहू उतारने की जगह उसे नालेज आधारित बनाया जाए। परीक्षा भी इसी पैटर्न पर कराने का प्रस्ताव है।

नीति में गली-मोहल्लों में खुले गैर-गुणवत्ता वाले स्कूलों को लेकर चिंता जताई गई

करलव ने कहा- 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा तो होगी, लेकिन इसमें ऐसा बदलाव लाने की कोशिश हो रही है बच्चों को कोचिंग क्लास की जरूरत न रहे। इसके साथ ही राज्यों में एक स्कूल स्टैंडर्ड अथारिटी को भी बनाने की बात कही गई है, जो स्कूलों की गुणवत्ता और उनकी विश्वसनीयता पर भी नजर रखेंगे। नीति में गली-मोहल्लों में खुले गैर-गुणवत्ता वाले स्कूलों को लेकर चिंता जताई गई है। यही वजह है कि राज्यों से इसे लेकर स्टेट स्कूल स्टैडर्ड अथारिटी बनाने की बात कही है।

नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा का चार स्तरीय होगा ढांचा

नीति में स्कूली शिक्षा में बदलाव की जो सिफारिश की गई है, उनमें स्कूली शिक्षा का जो नया ढांचा होगा, वह चार स्तरों का होगा। इनमें पहला फाउंडेशन स्तर होगा, जो पांच साल होगा। जबकि प्रारम्भिक स्तर और मिडिल स्तर तीन-तीन साल का और सेकेंडरी स्तर का चार साल का होगा। इनमें फाउडेशन स्तर पर प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के लिए होगा। प्रारम्भिक स्तर कक्षा तीन से पांच तक के लिए, मिडिल स्तर कक्षा छह से आठ तक के लिए और सेकेंडरी स्तर कक्षा नौ से 12 तक के लिए होगा।



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