दुनिया के मशहूर अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, दार्शनिक कार्ल मार्क्स की 207वीं जयंती पर राहुल सांकृत्यायन सीजन पीठ के भगत सिंह मंच पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, विचार गोष्ठी में कार्ल मार्क्स के साथ ही फ्रेंड्ररिक एंगेल्स और लेनिन को भी किया गया याद.

5,मई, मऊ अपने अध्यक्षीय संबोधन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अब्दुल अजीम खाँ ने कहा कि कार्ल मार्क्स को पैदा हुए 207 साल हो गया, 1948 में उनके द्वारा लिखित कम्युनिस्ट घोषणा पत्र व 1867 में लिखी गई दास कैपिटल के प्रति दुनिया में आज भी दीवानगी है. कार्ल मार्क्स का मानना है कि समाज दो वर्गों में बंटा होता है एक पूंजीपति दूसरा गरीब(सर्वहारा). समाज का विकास भौतिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
पूंजीवाद साम्राज्यवाद विरोधी मंच के बाबूराम पाल ने अध्यक्षीय संबोधन मे कहा कि वैज्ञानिक तौर पर मजदूरों की मुक्ति का रास्ता कार्ल मार्क्स और लेनिन ने दिया. मार्क्स केवल लिखने का काम ही नहीं करते थे वह मजदूरों के बीच काम भी करते थे. 1990 के दौर में जिस विचार को मरा हुआ विचार घोषित कर दिया गया उसको लेकर पूंजीवादी तबके में आज भी बेचैनी है. दामोदर पीजी कॉलेज कसारा के प्राचार्य डॉ. संजय राय ने कहा कि मार्क्स लेनिन के वारिस गोर्बाचेव कहां है, आज वह दुनिया के पूंजीवादी व्यवस्था के अगुआ अमेरिका के उसी कॉलेज में अध्यापन में लगे हैं जिसे मार्क्सवाद को दुनिया से कैसे समाप्त किया जाए इसीलिए खोला गया. आज हम दुनिया के सबसे युवा देश, सबसे बड़ी आबादी है लेकिन हमारे आंदोलन की दशा दिशा क्या है. भविष्य की अनिश्चितता. हम एक असफल समाज के सामने खड़े हैं. का. रामप्रवेश यादव ने कहा कि सबसे बड़ी चोरी श्रम की चोरी है. दास कैपिटल आते ही पूरी दुनिया में पूजीपति वर्ग में दशक फैल गई. का. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मार्क्स लेलिन हम अगुआ साथियों के लिए मार्गदर्शक हैं हमें उनके बताए रास्ते पर चलने की लगातार कोशिश करते रहना चाहिए. कॉ. अमरजीत ने कहा कि कार्ल मार्क्स के पिता एक वकील थे उनके घरों पर वकीलों का आना-जाना बराबर होता था लेकिन मिडिल क्लास और वकीलों के बीच के अंतर विरोधों को देखकर कार्ल मार्क्स ने बहुत कुछ सीखा. समाज देखने में बराबर दिखता है लेकिन बराबर होता नहीं है. 150 वर्ष पहले लिखा कम्युनिस्ट घोषणा पत्र आज भी प्रासंगिक है. गोष्ठी को राहुल सांकृत्यायन सीजन पीठ व जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश धूमकेतु ने भी विस्तार से संबोधित किया. संचालन भाकपा माले के जिला सचिव बसंत कुमार ने किया. गोष्ठी में प्रमुख रूप से शिरोमणि मौर्य, अमरीश राय, जगदीश. साधु यादव, रमेश सिंह, सहित दर्जन साथी उपस्थित रहे.