मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता पर जैविक उर्वरकों का प्रभाव' विषय पर जनपद स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

पर्यावरण निदेशालय, उ.प्र. द्वारा संचालित जिला योजना 2024-25 के अंतर्गत, सामाजिक वानिकी प्रभाग, मऊ द्वारा "मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता पर जैविक उर्वरकों का प्रभाव" विषय पर जनपद स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमे बताया गया कि मानव जीवन में जितना स्वास्थ्य का महत्व है, उसी प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए मृदा स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है।

हालांकि, वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मृदा का स्वास्थ्य पड़ा है और लगातर जैव विविधता क्षरण हो रहा है। जैव विविधता को संरक्षित करने में जैविक उर्वरकों का विशेष महत्व है। मृदा स्वास्थ्य के महत्व और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मऊ के विद्यार्थियों के बीच 6 सितंबर 2024 को सामाजिक वानिकी प्रभाग, मऊ द्वारा मुहम्मदाबाद स्थित सनबीम सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सभागार में "मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता पर जैविक उर्वरकों का प्रभाव" विषय पर जनपद स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों से 22 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया, जिनमें पब्लिक बालिका इंटर कॉलेज बरामदपुर, फतेहपुर गर्ल्स इंटर कॉलेज, टाउन इंटर कॉलेज मुहम्मदाबाद गोहना, विक्ट्री इंटर कॉलेज दोहरीघाट, किड्स किंगडम सीनियर सेकेंडरी स्कूल भुजौटी, सेक्रेड हार्ट स्कूल सुरहुरपुर, और सनबीम सेकेंडरी स्कूल आदि शामिल थे। प्रतिभागियों का चयन सामग्री की गुणवत्ता, प्रासंगिकता, साक्ष्यों का उपयोग, स्पष्टता, सुसंगठित विचार प्रवाह और प्रस्तुति के आधार पर किया गया। प्रतियोगिता में श्री विवेक कुमार (टाउन इंटर कॉलेज, मोहम्मदाबाद गोहना) को प्रथम स्थान, अर्नव यादव (किड्स किंगडम सीनियर सेकेंडरी स्कूल) को द्वितीय स्थान और विकास यादव (सेक्रेड हार्ट स्कूल, मोहम्मदाबाद) को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। सभी विजेताओं को 19 सितंबर को मऊ के कम्यूनिटी हॉल में आयोजित समापन समारोह में जिलाधिकारी महोदय द्वारा सम्मानित किया जाएगा। प्रतियोगिता की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए निर्णायक मंडल में डीसीएसके पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, मऊ के सहायक प्रवक्ता डॉ. दिनेश श्रीवास्तव (वनस्पति विभाग), डॉ. प्रद्युम्न कुमार पासवान (हिंदी विभाग), और सुश्री आरजू वर्मा (अंग्रेजी विभाग) को शामिल किया गया था। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ डॉ. दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया टिकाऊ कृषि पद्धतियों की ओर बढ़ रही है, जैविक उर्वरकों का उपयोग मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। ये उर्वरक, जो प्राकृतिक स्रोतों जैसे कंपोस्ट, पशु मल, और फसल अवशेषों से प्राप्त होते हैं, रासायनिक उर्वरकों का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के संचालनकर्ता, जिला परियोजना अधिकारी डॉ. हेमंत यादव ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अगली पीढ़ी को जैविक उर्वरकों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के अनियंत्रित उपयोग से मृदा का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है, जिसे भविष्य में आने वाली पीढ़ी ही सुधार सकती है। इस वाद-विवाद प्रतियोगिता के सफल आयोजन में श्री सुधीर कनन, श्री धीरेन्द्र यादव, श्री रामजी पांडेय, श्री रामाश्रय यादव, वन दरोगा विनोद आर्य और श्री अभिषेक कुमार पासवान का विशेष योगदान रहा।



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