देश की सबसे बड़ी पंचायत में एक बार फिर घोसी की आवाज गूंजी है। समाजवादी पार्टी से घोसी के सांसद राजीव राय ने एक बार फिर घोसी की जनता की आवाज उठाई है। संसद में क्षेत्र की आवाज उठाते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का सबसे पिछड़ा इलाका घोसी है। लोकसभा क्षेत्र के मऊ और रसड़ा विधानसभा में तीन बड़ी मिलें बंद पड़ी हुई है। राजीव राय ने 2024 के आम बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्वांचल को इस बजट से बाहर रखा गया

देश की सबसे बड़ी पंचायत में एक बार फिर घोसी की आवाज गूंजी है। समाजवादी पार्टी से घोसी के सांसद राजीव राय ने एक बार फिर घोसी की जनता की आवाज उठाई है। संसद में क्षेत्र की आवाज उठाते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का सबसे पिछड़ा इलाका घोसी है। लोकसभा क्षेत्र के मऊ और रसड़ा विधानसभा में तीन बड़ी मिलें बंद पड़ी हुई है। राजीव राय ने 2024 के आम बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्वांचल को इस बजट से बाहर रखा गया है। इस बजट में उत्तरप्रदेश और पूर्वांचल के लोगों के लिए नहीं सोचा गया। इसलिए पूर्वांचल के लोगों ने इनका बोरिया-बिस्तारा बांध दिया है। उन्होंने बजट को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि इस बजट में यह साफ देखने को मिल रहा है कि भाजपा असली मुद्दों से भाग रही है।

उन्होंने सदन में विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि यह बजट भारतीय जनता पार्टी के झूठे दावों, झूठी बातें और जुमलों को चीख-चीख कर आईना दिखाने वाला बजट है। उन्होंने केंद्र के इस बजट को विहार के आम बजट से तुलना किया। कहा कि उत्तरप्रदेश हारने के बाद उत्तरप्रदेश के लोगों से इतनी नफरत ठीक नहीं है। इसीलिए इस बजट में उत्तरप्रदेश और पूर्वांचल के नाम तक नहीं लिया गया।

उन्होंने घोसी की समस्याओं को सदन में उठते हुए कहा कि पिछले सात सालों में यहाँ पर कोई काम नहीं किया गया। स्वदेशी कटान मिल, परदहां की मिल और रसड़ा की चीनी मिल वर्षों से बंद है। आज से सात साल पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री और कपड़ा मंत्री ने मिलों को चलाने का घोषणा कर दिया था। लेकिन अब उन जमीनों पर भू-माफियाओं की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। उन्होंने सदन से मांग करते हुए कहा कि इस बजट में मेरे लोकसभा के तीनों मिलों को चालू कराया जाए, जिससे वहां के लोगों को रोजगार मिल सके। मधुबन ब्लाक के कई गावँ डूब रहे हैं लेकिन उसके लिए कोई बजट नहीं है। इस बजट में सरकार ने केवल अपने उस बैसाखियों को मजबूत किया है जिन बैसाखियों के सहारे यह सरकार अपनी आखिरी सांस गिन रही है।



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