बाहुबली मुख्तार अंसारी के ऊपर भारी पड़ा अखंड का "प्रताप"

आजमगढ़ . 2005 में वो पहली बार ब्लॉक प्रमुख बना. दबंगई और पैसे की कोई कमी नहीं थी, जिसकी वजह से वो लगातार सोलह साल तक या तो खुद उस सीट पर काबिज रहा या उसके लोग ब्लॉक प्रमुख बनते रहे. स्थानीय लोग बताते हैं कि आज़मगढ़ के तरवां ब्लॉक की राजनीति पर अखंड के बाहुबल का "प्रताप"अब भी है।

आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी में मुख्तार अंसारी गैंग से टकराने वाले और उसे चुनौती देने वाले लोग कम ही हैं। वो भी तब जब मुख्तार के एक हाथ में सत्ता और दूसरे में बाहुबल हुआ करता था। उस दौर में आजमगढ़ के एक शख्स ने जाने-अनजाने मुख्तार के खिलाफ अपने वर्चस्व को इतना बढ़ाया कि एक दिन अंसारी के खौफ को खत्म करने में जुट गया वो है।आजमगढ़ का बाहुबली अखंड प्रताप सिंह, जातिवाद सिर्फ राजनीति में नहीं बल्कि समाज की बुनियाद में भी गहराई तक समाई हुई है। यूं कह सकते हैं कि सामाजिक जातिवाद को सीढ़ी बनाकर कई लोग राजनीति की दहलीज़ तक पहुंचते हैं। राजनीति हो या अपराध की दुनिया दोनों जगह जातिवाद का संदेश और शोर साफ जाहिर होता है अखंड प्रताप सिंह भी उसी जातिवादी रंजिश में रहकर बाहुबली बना, अखंड के नरसंहार से हिल गया था आजमगढ़

आजमगढ़ जिले का तरवां ब्लॉक तब पिछड़े इलाकों में गिना जाता था. यहां सवर्ण, OBC, SC-ST समेत कई जाति के लोगों के गांव बसे हैं. अखंड प्रताप सिंह तरवां ब्लॉक के जमुआं गांव का है. उस दौर में गांव में पासवान बिरादरी का तरवां ब्लॉक में दबदबा था. उस दौर के कुछ दबंग किस्म के पासी लोग समाज में अलग-अलग जगहों पर काबिज थे अखंड प्रताप नई उमर का लड़का था. पड़ोस में रहने वाले पासवान समाज के लोगों से अखंड के परिवार के लोगों का विवाद हो गया अखंड प्रताप ने परिवार वालों के साथ मिलकर पासी बिरादरी से भी अपना बदला लिया जिससे आजमगढ़ समेत पूरे पूर्वांचल में अपनी साख को मजबूत कर लिया और यही से अखंड प्रताप सिंह से बाहुबली अखंड प्रताप सिंह बन गया। मुख्तार अंसारी के खौफ को आजमगढ़ में अकेला बाहुबली अखंड प्रताप सिंह ही एक ऐसा शख्स था जिसने पूर्वांचल के कई जिलों से मुख्तार अंसारी के खौफ को खत्म करने में कामयाब हो गया एक तरफ कुण्टू सिंह जहां मुख्तार का विरोधी हुआ करता था तो वहीं दूसरी तरफ अपने दम पर बाहुबल प्राप्त कर अखंड प्रताप सिंह ने भी मुख्तार अंसारी को कई मामलों में शिकस्त देकर अपने वर्चस्व को और मजबूत कर लिया। आजमगढ़ का माफिया कुंटू सिंह बड़ा गैंगस्टर था. वो मुख्तार अंसारी का कट्टर दुश्मन था. ठेकों और जमीनों पर कब्जे की लड़ाई की वजह से दोनों के बीच लंबी रंजिश थी अखंड प्रताप सिंह किसी के गैंग में नही था वह अपनी ताकत और बाहुबल से अपनी एक अलग पहचान बनाई है बाहुबली अखंड प्रताप सिंह ने अपराध की दुनिया में जो भी अध्याय लिखे है वो किसी के दम पे नही बल्कि अपने दम पे बनाया है जबकि कुंटू सिंह, मुन्ना सिंह और रमेश सिंह का गैंग पूर्वांचल में दबदबा था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अखंड प्रताप सिंह ने बाद के सालों में कई लोगों के हत्या का आरोप लगा, अपराध की दुनिया में उसका दबदबा और समाज की नजरों में उसका बाहुबल बढ़ता चला गया।जिससे कई बाहुबलियों की नींद भी उड़ गई इसलिए अखंड प्रताप सिंह ने पुर्वांचल के कई गैंग के सक्रिय लोगो को खौफ में डाल दिया, पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक कुंटू सिंह के साथ मिलकर अखंड सिंह ने कई घटनाओं को अंजाम दिया था फिलहाल इसके कोई पुख्ता सबूत नही मिल सके है पुलिस के मुताबिक पूर्व विधायक शिपु सिंह हत्याकांड में भी कई गवाहों को मारने का भी आरोप कुण्टू सिंह के गैंग पर लगे थे,जिसके बाद भी बाहुबली अखंड प्रताप सिंह का नाम भी सुर्खियों में आया था।

राजनीति में अपनी पैठ मजबूत करने के बाद अखंड प्रताप सिंह ने तरवां ब्लॉक पर कब्ज़े के लिए पंचायत की सियासत में किस्मत

2017 में BSP के टिकट पर आजमगढ़ की सवर्ण बहुल विधानसभा सीट अतरौलिया से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गया था. उसके पास करीब 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति है. योगी सरकार में पुलिस ने उसकी ज्यादातर संपत्ति कुर्क कर ली है. आजमगढ़, मऊ और वाराणसी में उसने शराब के ठेके, कई फ्लैट और विवादित जमीनों पर कब्जा कर रखा है. कुंटू सिंह और अखंड प्रताप का गैंग अब भी पूर्वांचल के चार जिले आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी के कुछ इलाकों में सक्रिय बताया जाता है लेकिन लंबे समय से जेल में होने के कारण धीरे धीरे अपराध से इन बाहुबलियों की दूरी बनती जा रही है।



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