डिस्पोजल मानसिकता ने दिया डिस्पोजल प्लास्टिक को जन्म

तात्कालिक जीवन में प्लास्टिक के प्रयोग और सामाजिक जीवन पर प्रकाश डाल रही पत्रकार अनामिका पाल डिस्पोजल मानसिकता वाली हमारी सोच नें शायद डिस्पोजल को जन्म दिया है। हम प्लास्टिक फ्री जीवन की कल्पना ही नहीं कर पा रहे हैं। आधुनिकता और सस्ती प्लास्टिक के हम इतने आदि हो गए हैं की कभी ना खत्म होने वाली प्लास्टिक वाली दुनिया से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए इसलिए हानिकारक है क्योंकि यह कभी नहीं नष्ट होता है। प्लास्टिक का जहरीला रसायन मानव हार्मोन को बदल सकता है हमारे समुद्री जीवों के जीवन को खतरे में डालता है। ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के अलावा इसका कोई दूसरा उपयोग नहीं होता है ।प्लास्टिक की खोज कोई सदियों पुरानी नहीं है ।" प्लास्टिक के बिना जीवन संभव है।"



शॉपिंग की लत मॉल कल्चर प्लास्टिक पॉल्यूशन फैलाने में खासा भूमिका निभा रही है। हम बेवजह इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां इसकी जरूरत भी नहीं है। जैसे शॉपिंग और मॉल कल्चर,छोटी दुकानों, पानी के पैकेट, पैक्ड पानी की बोतल जिनको हम अपनी जिंदगी से निकाल कर हमेशा के लिए प्लास्टिक पॉल्यूशन को कम कर सकते हैं। लेकिन बात हमारी डिस्पोजल मानसिकता की है सस्ते प्लास्टिक के चलते हम डिस्पोजल जैसा ही सोच रहे हैं।

समझें क्या है प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक का उपयोग इतना बढ़ गया है कि यह सोचना थोड़ा विचलित कर देता है कि इसके बिना जीवन संभव ही नहीं है इसकी अत्यधिक उपयोगिता से हानिकारक प्रभाव पूरी तरह से हावी हो रही है। वातावरण में प्लास्टिक की मात्रा बढ़ने पर प्लास्टिक खुले स्थानों जैसे गलियों, नालियों,नदियों ,समुद्रों के आसपास और सागरों के अंदर देखने को मिलता है विकासशील देशों में इसके निस्तारित करने की समस्या एक भयावह रूप ले चुकी है इसके संग्रहण करने की सुविधा ही नहीं होती हैं। प्लास्टिक स्वयं भी प्रदूषण फैलता है जलाने से वायु प्रदूषण, जमीन में डंप करने से भूमि प्रदूषण, समुद्र में जाने पर वहां की प्रजातियों की जीवन शैली को बुरी तरह प्रभावित करता है।

क्या वजह है प्लास्टिक कचरे का-

1-डिजिटल उपकरण - लैपटॉप फोन टेलीविजन या इस तरह सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में प्लास्टिक का उपयोग होता है। प्रतिवर्ष भारत लगभग 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है जिसमें 46% प्लास्टिक कचरे के रूप में इधर-उधर बिखरा मिलता है । यह मुख्य स्रोत जहां से प्लास्टिक वातावरण में पहुंचता है।

2- घरों में इस्तेमाल प्लास्टिक-

सस्ता और डिस्पोजल होने के नाते प्लास्टिक विकासशील देशों में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है पेंट की चैन से लेकर बड़े उपकरण जैसे फ्रिज वहां सभी के अंदर प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है जिनका सही ढंग से निस्तारण नहीं किया जा रहा। जो एक महत्वपूर्ण वजह है पॉलिथीन प्रदूषण का जिनमें लगाम लगाना बेहद जरूरी है।

3- कंपनियों का कचरा-<>
कंपनियां अपने सामान को ग्राहक तक पहुंचने में प्लास्टिक डिब्बों या पॉलीथीन की पैकेजिंग करती हैं ।आपको लगभग हर गांव कस्बों ,नहर नालियों में सभी जगह पर छोटे-छोटे बैग्स मिल जाएंगे। इसपे लगाना अत्यंत आवश्यक है।

4- प्लास्टिक कचरा के अन्य रूप भी हैं- <>
अस्पताल के उपकरण,सिगरेट के बट्स इसके फिल्टर में प्लास्टिक फाइबर होता है। पानी की बोतलें ,बोतल के ढक्कन, खाने के रैपर, किरानें के बैग, पैक्ड पॉलिथीन पानी, जूस स्ट्रा इन सबमें प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है।

प्लास्टिक के बारे में जाने-

हमें जानकर हैरानी होगी कि हमारी महासागरों में अब तक कुल 5 ट्रिलियन किलोग्राम से अधिक प्लास्टिक कचरा तैर रहा है। पूरी दुनिया की बात करें तो समुद्र तट या बीच का कूड़ा 73% प्लास्टिक है। जिसमें से सिगरेट बट्स, पानी की बोतलें ,बोतल के कैप्स, रैपर, किरानें स्टोर की थैलियां तैरती मिल जाएगी

विश्व प्लास्टिक उत्पादन 1950 में 2.1 मिलियन टन से बढ़कर कर 1993 में 147 मिलियन। 2050 तक 406 मिलियन टन हो गया है। वहीं अगर आने वाले कल की बात करें तो 2050 तक पृथ्वी पर लगभग हर समुद्री पक्षी, प्रजाति प्लास्टिक का सेवन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

हर मिनट में दुनिया भर में लगभग 10 लाख प्लास्टिक पानी की बोतल बेची जाती हैं। पैकेजिंग सामग्री प्लास्टिक का सबसे बड़ा स्रोत है प्लास्टिक कचरा अब विश्व स्तर पर होने वाले सभी प्लास्टिक कचरे का लगभग आधा है। इनमें से अधिकांश को कभी भी रीसायकल या खत्म नहीं किया जा सकता। करीब 7000 प्रजातियां समुद्री जानवरों में ऐसी पाई गई जो खाने की प्रक्रिया में प्लास्टिक से जूझ रही है। 40% प्लास्टिक सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जाता है और फेंक दिया जाता है।

प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकना संभव है, जानिए

1- पर्यावरण के अनुकूल चीजे का इस्तेमाल करें।

2- बोतल बंद का इस्तेमाल बंद करें।

3- सब रीसायकल करें।

4- डिस्पोजल प्लास्टिक का उपयोग न करें।

5- लोगों को एहसास करायें की अपने आसपास की स्थानीय दुकानों और एक्स्ट्रा को इस बात को बताएं कि प्लास्टिक हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए कितना घातक हो रहा है।

6- पर्यावरण संबंधी मुद्दों से जुड़े और बताएं कि यह पर्यावरण को हर हाल में सिर्फ नुकसान पहुंचता है।

7- लोगों से उनकी राय लें और अपनी राय लोगों तक पहुंचाएं और उनका फीडबैक लें कि क्या उनके जीवन में प्लास्टिक बंद करने से परिवर्तन हुआ है।

अंत में मैं बस इतना कहना चाहूंगी कि आपका छोटा सा योगदान हमारे पर्यावरण के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। कौन क्या कर रहा है इसके बारे में सोचनें से ज्यादा जरूरी यह है कि हम क्या कर रहे हैं इसके बारे में सोचें।



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