राम राम-वालेकुम सलाम-सत श्री अकाल नगर पंचायत चुनाव में चिरैयाकोट क का बा हाल

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नजदीक आ रहा दूसरे चरण का चुनाव, सभी प्रत्याशी कुर्सी पर अपना आधिपत्य स्थापित करने को लगा रहे हैं तरह-तरह के दांव।

नगर पंचायत चुनाव में दूसरे चरण का मतदान नजदीक आता दिख रहा है जिसमें नगर पंचायत के प्रत्याशियों एवं मतदाताओं की चहलकदमी देखकर ऊंट किस करवट बैठेगा अंदाजा लगाना मुश्किल दिख रहा है। राजनीतिक पार्टियों का विश्लेषण करें तो नगर पंचायत चुनाव में उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी पक्ष एवं मुख्य विपक्षी पार्टी का कहीं भरोसा मतदाताओं में नहीं दिख रहा है जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन दोनों ही पार्टियों के झण्डा और डण्डा नगर क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रहा है, जबकि वहीं नगर क्षेत्र में नीला झंडा और नीला गमछा बहुतायत से देखने को मिल रहा है।

किसी के सर पर बंधा है गमछा तो किसी के घर में टंगा है नीला झंडा। वैसे देखा जाए तो चिरैयाकोट बाजार राजनीतिक अखाड़े बाजो का गढ़ रहा है यहां बैठे बैठे चाय और पान की दुकानों से प्रदेश और देश तक की राजनीति बनती और बिगड़ती है फिर भी ना जाने क्यों एक से एक धुरंधर राजनीतिज्ञ होने के बावजूद भी चिरैयाकोट नगर पंचायत में केसरिया झंडा और लाल पगड़ी वाले कहीं नहीं दिख रहे हैं अगर बाजार में दिखाई दे रहे हैं तो सिर्फ और सिर्फ नीला गमछा और नीला झंडा ही दिखाई दे रहा है। सत्तारूढ़ दल की बात करें तो मऊ जनपद में ही एक माननीय मंत्री महोदय जी कैम्प डालकर नगरनिकाय चुनाव जीतने के लिए पसीना बहा रहे हैं वहीं चिरैयाकोट नगर क्षेत्र के सत्तारूढ़ दल से ताल्लुक रखने वाले आपस में एक दूसरे से यही सवाल पूछते हैं कि क्या चिरैयाकोट नगर पंचायत क्षेत्र मऊ जनपद से बाहर का क्षेत्र है। क्या माननीय मंत्री महोदय चिरैयाकोट एक बार भी क्यों नहीं आए और जनपद का संगठन ब्लॉक स्तरीय संगठन चिरैयाकोट को क्यों नजरअंदाज किए हुए हैं। यह सवाल खड़ा कर रहा है आने वाले चुनाव के लिए जिसमें ब्लॉक स्तरीय और जनपद स्तरीय संगठन के पदाधिकारियों एवं जिले के माननीय मंत्री महोदय को आने वाले चुनाव में चिरैयाकोट क्षेत्र के बारे में सोचना होगा कि आखिर चिरैयाकोट की जनता से हम किस आधार पर वोट लें ।
वहीं कुछ विरोधी खेमा अंदर ही अंदर आपस में बातें करके तालियां पीट रहा है कि कहीं सत्तारूढ़ पार्टी किसी पार्टी प्रत्याशी से अंदर खाने में जाकर के समझौता तो नहीं कर लिया है।

आने वाले चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी को इसका खामियाजा उठाना ही पड़ेगा इसको कोई रोक नहीं पायेगा। आज भी चिरैयाकोट बाजार में एक से बढ़कर एक धुरंधर भाजपा के खिलाड़ी है सभी की पहुंच एवं पहचान राष्ट्रीय स्तर पर भी है।

इस चुनाव में अजीबोगरीब हालात देखने को मिल रहे हैं की कल तक जिसके सर पर हरे रंग का साफा दिखता था आज उसी के सर पर नीला साफा दिख रहा है, इस नगर पंचायत क्षेत्र में केसरिया पगड़ी बांधने वाले भी ना जाने कहां किस चक्रवात में गायब हो गए हैं,लाल गमछा लहराते हुए चाय पान की दुकानों पर ताल ठोकने वाले सपा के महारथी भी ऐसे गायब हो गए हैं जैसे कि गधे के सर से सींग।

क्या आने वाले चुनाव में चिरैयाकोट बाजार में चाय पान की दुकानों पर बैठकर राजनीति करने वाले धुरंधरों पर इस क्षेत्र की जनता कितना विश्वास करेगी?ये कब कौन सा चोला पहन किसमें समाहित हो जाएंगे इन राजनीतिज्ञों का क्षेत्र की जनता कैसे करेगी भरोसा। विकास की बात देखा जाए तो दशकों वर्ष पूर्व से चिरैयाकोट बाजार विकास की आस में चातुर्दिक फैली गंदगियों एवं टूटी सड़कों को अपने में समाहित किए हुए निरन्तर जनप्रतिनिधियों के आगमन की प्रतीक्षा में राहगीरों को ठोकर मारकर मरहम रूपी कीचड़ उछालने में लगा है। न ही कहीं पेयजल की व्यवस्था ना ही किसी रोड पर यात्री प्रतिक्षालय और शौचालय तो ऐसे मिलेंगे कि यदि उपयोगकर्ता वहां जाए तो उसके शौच की हाजत ही खत्म हो जाएंगेे।शासन प्रशासन से स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर नगर पंचायतों में करोड़ों करोड़ों की धनराशि खर्च हो रहे हैं फिर भी हालत बद से बद्तर। आए दिन सुबह और शाम लगने वाला जाम आखिर इसका जिम्मेदार कौन? क्या चुनाव में सिर्फ वादा ही किया जाता है, क्या वादा निभाने की जिम्मेदारियां नहीं होती हैं। एक गाना है कि *वादा तेरा वादा वादे पे तेरे मारा गया* सच में ये मतदाता चुनावी लाली पॉप और वादों के बीच मारा जाता है। एक समय था कि चुनाव में वाई.एम.का फैक्टर चलता था परन्तु यहां बदले हालात,बदली हवा के बीच डी.एम.फैक्टर कितना कारगर साबित होगा यह तो समय ही बताएगा। आखिर कब तक गुमराह होती रहेगी चिरैयाकोट नगर क्षेत्र की जनता।



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