इंसान की मंडी सजाये हैं खड़ा बाजार....

रत्नेश चंचल

इंसान कि मंडी सजाये है खड़ा बाजार अब तो बिकने को तैयार हम,है खड़ा खरीदार अब तो होता नहीं है धर्म कोई सत्ता और सियासत का संविधान गिरवी पड़ा है होकर के लाचार अब तो । #कर्नाटक ( रत्नेश चंचल )



अन्य समाचार
फेसबुक पेज