संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर मुकदमा दर्ज करना पुलिस का कर्तव्य - चंद्रकांत त्रिपाठी


राजकुमार पाण्डेय

कोपागंज मऊ। विकासखंड अंतर्गत कार्यरत सचिव सपना सिंह और सदर एसडीएम अतुल वत्स के विवाद में पेंच गहराता ही जा रहा है। साथ ही यह विषय जनपद के हर खासोआम की जुबान पर खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं सपना सिंह द्वारा सदर एसडीएम अतुल वत्स पर लगाए गए अमर्यादित आचरण के आरोपों के बावजूद अभी उनकी एफ०आई०आर० तक दर्ज नहीं की गई है। इस संबंध में प्रयागराज हाईकोर्ट के अधिवक्ता चंद्रकांत त्रिपाठी बताते हैं कि धारा 154 द०प्र०सं० के तहत हर व्यक्ति को अधिकार है कि वह संज्ञेय अपराध से संबंधित घटना की एफ आई आर दर्ज करने के लिए लिखित या मौखिक रूप से अपने संबंधित पुलिस थाने में भार साधक अधिकारी को प्रार्थना पत्र दे सकता है तथा पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी का यह विधिक कर्तव्य है कि वह संज्ञेय अपराध की सूचना को लिपिबद्ध कर अपराध का अन्वेषण करें। यदि वहां एफ०आई०आर० दर्ज नहीं होती तो पीड़ित या पीड़िता को यह अधिकार है कि वह घटना की सूचना रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से जिले के पुलिस अधीक्षक को प्रेषित करे यदि इसके बाद भी एफ आई आर दर्ज नहीं होती तो पीड़ित संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां धारा 156 (3) दं०प्र०सं० के तहत एफ आई आर दर्ज करने के लिए आवेदन कर सकता है।

उन्होंने आगे बताया कि सपना सिंह के मामले में धारा 354 B व धारा 354 D आईपीसी के तहत मामला बनता है जिसमें दंड और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।

किसी भी प्रकार की विधिक सलाह के लिए आप भी संपर्क कर सकते हैं
चंद्रकांत त्रिपाठी (अधिवक्ता हाईकोर्ट)
आवास - ग्राम-लाडनपुर पोस्ट-कोपागंज (मऊ)
मो० नंबर 09454057971



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