करवा चौथ विशेष और व्रत का महात्म्य


लेख - प्रदीप कुमार पाण्डेय

सनातन हिन्दु धर्म में हमारी मातृ शक्तियां अनेकों कठिन निर्जला व्रत करती हैं जैसे छठ,तीज, जिवित पुत्रिका व्रत, गणेशचतुर्थि, करवा चौथ आदि।
करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है। इस दिन पति की लम्बी उम्र के लिए पत्नियां पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती है। सुहागन महिलाओं के लिए चौथ महत्वपूर्ण है। इसलिए इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख की मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है।

करवा चौथ महात्म्य

छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।

लगभग सारा हिन्दु समाज करवाचौथ का त्यौहार मनाता आ रहा है और सभी सुहागन स्त्रीयाँ आपने पति की लम्बी आयू के लिए व्रत रखती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार व्रत रखने से पति की उम्र लम्बी होती है ।
परन्तु मैं कहना चाहता हुँ सनातन हिन्दु धर्म प्रेमी मातृ शक्तियों से कि सच में अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं तो ईश्वर से इसकी प्रार्थना करना चाहिए तथा अपने लिए ईश्वर से माँगना चाहिए कि ईश्वर बुद्धि को हमेशा नेक,सत्य,धर्म व पवित्रता के मार्ग पर चलाए, मन कभी चंचलता में भटक न जाए ।अपने पतिसे हृदयसे प्रीति बना रहे। यदि पति की लम्बी उम्र चाहती हैं तो उनके मन को शांत रखने की शक्ति माँगना चाहिए । परिवार में सब से मिल कर चलना की शक्ति, अपने साँस ससुर की अलोचनाओं से पति के मन में कटुता न भरने की शक्ति माँगनी चाहिए ।

पति के मन अनुसार व जो उसे प्रिय हो ऐसा अपना आचरण और स्वभाव रखना । उससे छिपा कर कोई ग़लत काम न करना ,लोगों में पति की बुराई न करना तथा निरादर न करना , अगर कहीं मन मुटाव हो तो उसे आपस में ही सुलझा लेना,पति से छिप कर कोई भोग पदार्थ न लेना , परिवार में कोई समस्या आयेतो मिल जुलकर हल करना, जैसे सात्विक कर्म की कामना व प्रयास करना चाहिए ।
वरना आपस में अविश्वास पैदा होता है और झगड़ा होता है तथा दोनोंका जीवन सुखमय नहीं रह पाता है और दोनों का स्वस्थ भी ठीक नही रहेता है तथा लम्बी उम्र पाने की सोच व्यर्थ होती है।
अपने स्वभाव को हमेशा शान्त रखने का प्रयास करना चाहिए । हमारी मातृ शक्तियाँ अपने शातँ भाव से बड़ी से बड़ी मुश्किल घड़ी को सरलता से सुलझा सकती हैं ।
कभी भी अपना धैर्य न खोने की कामना व्रत के साथ करनी चाहिए । मातृ शक्तियों की दृष्टि, वाणी , आचरण पति के अनुकूल और उसे प्रिय होना चाहिए ।
पति को ही अपना स्वामी पालन करने हारा मानना उसके अलावा किसी अन्य से प्रिति भाव न रखना ।
इन शिक्षाओं पर निश्चय से चलना ही शायद व्रत का वास्तविक उपलब्धि होती है।
यदि हमारी मातृ शक्तियाँ इन बातों को मन में रख कर व्यवहार में लाएगीं तो पति हमेशा प्रसन्न चित रहेगें तथा उनके प्रसन्न रहने से उनका स्वास्थ अच्छा होगा व आयु भी लम्बी होगी ।
पति के प्रसन्न रहने से घर में धन लक्ष्मी व समृद्धि आयेगी और ऐश्वरय, सौभाग्य ,सुसन्तान की वृद्धि होगी । इस तरह हमारी मातृ शक्तियाँ अपने पति के साथ वृद्धा अवस्था तक प्रसन्न चित ,स्वस्थ जीवन को आनंद से व्यतीत करेगीं ।

व्रत स्वस्थ्य के लिय अच्छा है लेकिन अगर कोई सोचे की केवल व्रत मात्र से पति की उम्र लम्बी होगी तो यह मेरे विचार से बिल्कुल ग़लत सोच होगी।

मैं स्वयं सनातन हिन्दु धर्म प्रेमी हुँ, मेरे इस लेख का उद्देश्य सनातन हिन्दु धर्म, उसकी परम्परा, मान्यता, मातृ शक्तियों का अपमान करना नहीं है फिर भी यदि किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो करवद्ध नतमस्तक हो क्षमा याचना करता हुँ ।



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