होना चाहिए, एक साथी ऐसा भी

होना चाहिए
एक साथी ऐसा भी
जीवन में
जो अलग हो दायरों से,
सामाजिक रीति रिवाज़ों से
बांट सकें हर वक्त जिससे
अपना हम अंतर्मन
ये ख्याल ही न आये
की वो है सखी, सखा या और कोई
जो समझे हमें
हमारी ही तरह
मिलकर जिससे लगे
जैसे हो गयी
हो ख़ुद से ही ख़ुद की मुलाकात.....



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