एक कदम दिखावे से वास्तविकता की तरफ
प्रदीप पाण्डेय
हम जीवन मे कई बार अपनों का सम्मान सिर्फ दिखावे के लिए ही करते हैं । सही मायनो में मन मे कुछ और रहता हैं, लेकिन समाजिक प्रतिष्ठा और मान सम्मान को दिखाने के लिए हम करते कुछ और हैं । उदाहरण के लिए हम में से कई मन्दिर सिर्फ इसलिए जाते हैं की हम लोगों को बता सकें की हम धार्मिक हैं ,जबकि हकीकत मे मन्दिर जाकर इधर उधर देखते हैं, मन्दिर में फ़ालतू की बाते करते हैं। बहुत कम लोगों का मन्दिर मे ध्यान प्रभु भक्ति में लगता है । हम किसी का सम्मान करें तो दिल से करें, कोई आवश्यक नहीं है कि सम्मान के लिये बडी बडी मालायें और पोस्टर आदि का दिखावा हो पर जो हो दिल से हो। हमें बाहरी दिखावा नहीं करना चाहिए,अंदर के मन को साफ़ करना चाहिए। ऐसा नहीं हो की तन साफ़ पर मन काला हो ।किसी को यदि हम सहारा भी दें रहे तो स्वार्थवश ना दे ,इसलिये दें की प्रभु ने हमको इस योग्य बनाया है ।