महिलाओं के प्रति मंच से आपत्तिजनक बातें कहते राजनेता


सम्पादकीय - जगदीश सिंह

सियासी हवा कुछ इस तरह चली कि मन सभी लोगों के बेलगाम हो गये।
जिसकी ना उम्मीदें थी मन में कभी कोई, जो सोच न सका वो अन्जाम हो गये।


सियासत में मर्यादा का हनन अब चलन बन गया है। इस पर अब कोई मनन भी नहीं करता। किसी पर भी अप्रिय टिप्पणी अब बेखौफ करना लोगों की आदत में शुमार हो गया है। लगता है अब सियासत को मियादी बुखार हो गया है। किसी की जुबान अपने बस में नहीं है। यह धरती सर्वदा से नारी सम्मान के लिये जानी जाती है। कहा भी गया है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः यानि जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवता भी वास करते हैं। आज का परिवेश विद्वेष की भावना से इतना भर गया है कि नारी हनन पर चिन्तन भी करना मुनासिब नहीं समझते सियासतदार। जरूरत के हिसाब से ऊपयोग करते हैं लच्छेदार भाषण देते हैं। आज जब की नारी कदम से कदम मिलाकर चल रही है। जाबांजी का मिसाल कायम कर रही है। देश की सत्ता में भागीदारी कर रहा रक्षा मंत्रालय जैसा ओहदा सम्भाल रही है। देश की सीमाओं पर चौकसी कर रही है। उसके प्रति इतनी घटिया सोच रखने वाले सियासत के दोगले रहनुमा जिस घटिया लब्ज का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसकी जितनी भर्तसना की जाए कम है। अब वह बात नहीं रही की अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दुध और आखों मे पानी? बल्कि अब तो कहा जा रहा है खूब लङी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

बदलता परिवेश बदलते समाज में आज भी कायराना अल्फाज बोलकर अपनी जाहीलियत का सबूत देने वालों की कमी नहीं। जिनकी कौमे नारी को भोग्या से अधिक कूछ नहीं समझती उनसे इससे अधिक उम्मीद करना ही मुर्खता है।

लोकसभा चुनाव, 2019 का सियासी रण अपने चरम पर हैं। इसके चलते आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी जमकर की जा रही है। इन सबके बीच नेताओं ने अब भाषायी मर्यादाएं भी लांघना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने रविवार को बीजेपी प्रत्याशी और अभिनेत्री जया प्रदा को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है। रामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए आजम खान ने बिना नाम लिए बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसको हम उंगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया। उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए। मैं 17 दिनों में पहचान गया था कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है। इस रैली में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे। उनके इस बयान पर बीजेपी ने सख्‍त ऐतराज जताते हुए माफी की मांग की है। गठबंधन प्रत्याशी आजम खान और बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा के बीच इससे पहले भी जुबानी जंग हो चुकी है जब जया प्रदा ने आजम खान पर तंज कसा था। उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि मैं तो आजम खान को अपना भाई मानती थी लेकिन वह मुझे बहन बुलाने के साथ मेरे बीमार होने की भी कामना करते रहे। जया प्रदा ने आगे कहा कि क्या आपका भाई आपको नाचने वाली के तौर पर देख सकता है? यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ना चाहती थी। बहरहाल ये तो सियासती दाव पेंच है लेकिन बदजुबानी तो केवल जाहीलियत ही दर्शाती है।

आजम खान के बयान पर बैखलायी पत्रकार व लेखिका ममता यादव ने तो सोशल मीङिया पर अपने दर्द को उकेरते हुए लिखा है कि दूनिया चाँद पर पहुँच गयी और भारत के मर्द महिलाओं के अन्तः वस्त्र पर ही अटके हैं। औरत को सिर्फ भोग्या मानते हो? इंसान कब मानना समझना शुरू करोगे? कहां है तमाम ऐजेन्ङावादी, फेमिनिस्ट और बुद्दी से कुलीन विपक्ष आजादी की माँग करने वाले अब मुँह नहीं खोलेंगे? वो बुद्धजीवी टाईप पत्रकार जो दुसरों को गाली हैं मगर खुद कोई भाजपा की गोद मे कोई सपा की गोद में कोई कांग्रेस की गोद मे अपनी अपनी सरकारें बनाने में लगे हैं अगर फुर्सत मिले तो इस पर भी गौर जरूर करना महानुभावों? ये उदगार एक नारी का है नारी के गिरते सम्मान के लिये शेरनी जैसे दहाङ रही है और बिकाऊ मीङिया चुप है। वास्तविकता के धरातल पर महिला समाज आज आन्दोलित है। अमर्यादित टिप्पणी पर बिफरी है लेकिन सियासत में सब चलता है सोच कर चुनावी माहौल में खलल न पङे मन मसोस कर आने वाले कल का इन्तजार कर रही है।

आजम खान से ज्यादा दोषी मंच पर बैठे अखिलेश यादव हैं जिनको आने वाला कल जवाब देगा? अखिलेश यादव न घर के हुए न कौम के हुए। आखिर अपना किस तरह का इतिहास बनाना चाहते हो? फिरकापरस्त ताकतों को बढावा देकर क्या साबित करना चाहते हो। समय का इन्तजार करें महिला समाज आप को माकूल जबाब देगा?

जिल्लतों से भर गयी इस जिन्दगी का क्या करूँ।।
बेकसी व बेबसी अपना मुकद्दर हो गया।।



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