आज के समाज में जीवन निर्वाह की वास्तविकता


रिपोर्ट - प्रदीप कुमार पाण्डेय

वर्तमान भौतिकवादी समाज में सुख सुविधा के साधन और बढती इच्छाओं की पुर्ति को हम जीवन निर्वाह का नाम दे रखे हैं और इस जीवन निर्वाह के लिए धनार्जन करनें में हम इतने व्यस्त हो गये हैं कि हम स्वयं का जीवन जीना भूल गये हैं।"

जब कि हमारा पहला दायित्व है खुद को खुश रखना
जब हम स्वयं खुश होंगे तभी दुसरों को खुशी दे पायेंगें क्योंकि कोई भी इन्सान दुसरों को वही दे सकता है जो उसके पास होता हैअतः हमें सदैव स्वस्थ, व्यस्त (सकारात्मक/रचनात्मक कार्यों में) और मस्त (खुश) रहने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए



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