सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए आंतरिक परिवार समिति का होगा गठन

कार्यालय में किसी भी प्रकार का यौनिक उत्पीड़न होने पर समिति के समक्ष महिलाएं कर सकेंगीं शिकायत

जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र की अध्यक्षता में महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष अधिनियम 2013 के संबंध में समस्त कार्यालयाध्यक्षों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुआ। कार्यशाला के दौरान जिला प्रोवेशन अधिकारी डॉक्टर श्वेता त्रिपाठी ने लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के संबंध में विस्तार पूर्वक सभी कार्यालयाध्यक्षों के समक्ष जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष अधिनियम 2013 है। यह अधिनियम 22 मार्च 2013 से संपूर्ण भारत में लागू है। उन्होंने बताया कि किसी भी कार्यस्थल चाहे संगठित क्षेत्र, विस्तारित क्षेत्र या असंगठित क्षेत्र के संबंध में बताया कि किसी आयु की ऐसी महिला, चाहे नियोजित है या नहीं, तथा एक ऐसा स्थान जहां कोई भी व्यक्ति कार्य करता हो, सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय, संस्था, संगठन अस्पताल शैक्षिक संस्थान, खेलकूद का स्थान, प्रशिक्षण संस्थान या अन्य व्यावसायिक स्थान तथा किसी का घर, खेत या ईट भट्ठा या दुकान जहां कोई महिला कार्य करती हो। उन्होंने यौन उत्पीड़न के संबंध में यह भी बताया कि यौन उत्पीड़न क्या है? अनचाहा शारीरिक संपर्क बनाना, अश्लील संकेत करना, यौनिक टिप्पणी करना, यौनिक मंशा से, बलपूर्वक छूना व पकड़ना, यौनिक संबंध की मांग या अनुरोध, अश्लील साहित्य दिखाना या मोबाइल पर अश्लील बातें करना, अश्लील ईमेल व संदेश भेजना, यौनिक इच्छाओं की मांग को मना करने पर महिला के लिए डर का माहौल बना देना, यौनिक इच्छाओं की मांग की पूर्ति के लिए महिला को किसी प्रकार का प्रलोभन देना या धमकाना जैसे मामलों में महिला जिले स्तर पर गठित आंतरिक परिवाद समिति के समक्ष शिकायत कर सकती है। उन्होंने महिला हेल्पलाइन नंबर 181, महिला पावर लाइन नंबर 1090, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112, सीएम हेल्पलाइन नंबर 1076 तथा 941534 3437 पर नि:शुल्क कानून सहायता के लिए महिला संपर्क कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि महिला के साथ कार्यालय में किसी भी प्रकार का यौनिक उत्पीड़न होने पर घटना की लिखित शिकायत कार्यालय में या समिति के समझ तीन माह के अंदर कर सकती है। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने समस्त कार्यालयाध्यक्षों को निर्देश दिए कि सभी कार्यालय में आंतरिक परिवाद समिति गठित कर नाम, पदनाम, संस्था से संबंध है तो संस्था का नाम, फोन नंबर, नोडल अधिकारी की संपूर्ण जानकारी तथा इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिन कार्यालयो में 10 या 10 से अधिक व्यक्ति कार्य करते हो वहां आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य रूप से करते हुए जिला प्रोवेशन अधिकारी को सूचित करें। बैठक के दौरान मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत नागर, परियोजना निदेशक रामबाबू त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष उपाध्याय, डीसी मनरेगा उपेंद्र पाठक, जिला अर्थ संख्या अधिकारी सुशील कुमार सहित सभी जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज